कानन पेंडारी में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए बेहतर वातावरण है, लेकिन वर्ष 2018 से बाघों की ब्रीङ्क्षडग पर रोक लग गई है। वर्तमान में यहाँ 7 रॉयल बंगाल टाइगर हैं। अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 2015 से लेकर 2017 तक यहाँ 6 बंगाल टाइगर का जन्म हुआ है। रॉयल बंगाल को रखने के लिए 2016 में केज बनाया गया था।
READ MORE : रिटायर बुजुर्ग महिला दुर्ग में हुई उठाईगिरी की शिकार, बैंक से 25 हजार निकाली, घर पहुंची तो पर्स मिला गायब एक केज में एक वन्य प्राणी को रखा जाता है, लेकिन कम जगह होने के कारण मादाओं के साथ बच्चों को रख देते हैं। बच्चे दो साल में बड़े हो गए तो उन्हें शिफ्ट करना जरूरी हुआ। ऐसे में 8 अप्रैल 2017 से 12 फरवरी 2020 तक 5 बंगाल टाइगर और स$फेद बाघ को देश के अलग-अलग जू में शिफ्ट किया गया है। सुविधाओं के आभाव में यहाँ 4 साल से प्रजनन रुका हुआ है। यदि इसे फिर से शुरू कर दिया जाए, तो देश में घटती बाघों की संख्या को बढ़ाई जा सकती है। इस मामले में डीएफओ निशांत कुमार का कहना है ब्रीडिंग कराना काफी खतरा होता है फिर भी कोशिश करेंगें। वहीं कोरोना के कारण इस साल एक भी वन्य प्राणियों का अदान प्रदान नही हो पाया है।
वर्ष 2017 के बाद से पैदा नहीं हुए बाघ
वर्ष 2017 के बाद से एक भी शावकों का जन्म नहीं हुआ है। इसका मुख्य कारण जू में रॉयल बंगाल टाइगर की संख्या क्षमता से ज्यादा होना और इन्हें रखने के लिए केजों की कमी को बताया जा रहा है। कानन के अधिकारी बताते हैं कि सुबह इन्हें बारी-बारी कर बाड़े में छोड़ा जाता है। एक साथ इसलिए नहीं छोड़ते क्योंकि ये आपस में झगड़ते हैं और मौत तक हो जाती है। दुर्घटना न हो इसलिए अधीक्षक ने इन्हें इंडिया के किसी भी जू में भेजने के लिए सीजेडए को पिछले दिनों चिट्ठी लिखकर अनुमति मांगी और कानन से 3 रॉयल बंगाल टाईगर को रोहतक और लुधियाना भेज दिया।
यहां गूंज रही हमारे बाघों की दहाड़..
जूलॉजिकल पार्क – प्रजाति– गांधी जूलॉजिकल पार्क ग्वालियर- बंगाल टाइगर 1 मादा – भगवान बिरसा बायोलॉजिकल पार्क रांची – सफेद बाघ 1 नर
– भगवान बिरसा बायोलॉजिकल पार्क रांची – बंगाल टाइगर 1 मादा
– जंगल सफारी रायपुर- सफेद बाघ 1 नर, 1 मादा
– रोहतक जू- बंगाल टाइगर 1 नर , 1 मादा – लुधियाना जू- बंगाल टाइगर 1 मादा वर्जन- वन्य प्राणियों के बीच मैंटिंग कराना बहुत ही रिस्कीय कार्य है। इससे दुर्घटना होने की आशंका ज्यादा बनी रही रहती है। एक दो बार यहां ऐसा हो भी चुका है फिर भी उच्चाधिकारियों से अनुमति लेने के बाद मैंटिंग कराने की कोशिश की जाएगी।
– संजय लूथर ,अधीक्षक कानन पेंडारी