झीरम मामले की सच्चाई उजागर करने के लिए कांग्रेस की ओर से जांच आयोग के समक्ष आवेदन देकर तत्कालीन सीएम, केंद्रीय गृहमंत्री समेत अन्य को गवाही के लिए बुलाए जाने की मांग की गई थी। झीरम जांच आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने जांच व प्रतिपरीक्षण पूरा हो जाने व आवेदन देर से देने का हवाला देते हुए आवेदन खारिज कर दिया था। आयोग के उक्त निर्णय को राज्य शासन द्वारा हाईकोर्ट की सिंगल बेंच मेंं चुनौती दी गई, सिंगल बेंच ने याचिका खारिज कर दी। इसके खिलाफ शासन द्वारा डबलबेंच में रिट अपील दायर कर चुनौती दी गई। सीजे की युगलपीठ ने शासन की रिट अपील को खारिज कर दिया है।
ज्ञात हो कि झीरम घाटी हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, महेंद्र कर्मा समेत 25 लोग मंारे गए थे। उक्त मामले की जांच के लिए शासन ने झीरम न्यायिक आयोग का गठन किया था। जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में जांच की गई। आयोग की अंतिम सुनवाई 11 अक्टूबर 2019 को हुई। उक्त दिन नक्सल आपरेशन के पी सुंदरराजन की गवाही हुई। इसके बाद आयोग ने राज्य शासन की ओर से देवती कर्मा, डा. चुलेश्वर चंद्राकर, हर्षद मेहता व सुरेंद्र शर्मा की गवाही के लिए भी आवेदन दिया था, जिसे आयोग ने निरस्त कर दिया था।