इसके बाद तो वहां भगदड़ की स्थिति बन गई थी। ट्रेन के रुकते ही यात्री अपने-अपने डिब्बों से ट्रैक पर कूदने लगे थे। हलांकि रेलवे अपनी भाषा में इसे पटरी का फ्रैक्चर होना बताया जा रहा है। घटना 9.40 से 10 बजे की है। खौफजदा यात्रियों ने कहा कि उस वक्त ऐसा लगा जैसे भूकम्प आ गया हो।
ट्रेन रुकने के बाद सभी कूद कर सुरक्षित स्थान के लिए भागने का प्रयास करते रहे। बिलासपुर से पेंड्रा रोड के लिए सुबह 7.30 पेंड्रारोड-बिलासपुर मेमू (68749) 40 से 45 की रफ्तार में दौड़ रही थी। लगभग 10 बजे ट्रेन सारबहरा स्टेशन को पार किया ही था कि ट्रेन के डिब्बे उछलने लगे थे। 10 डब्बों की मेमू के सभी कोच कम्पन से हिलने लगे। ट्रेन में सवार यात्रियों को लगा कि जैसे भूकंप आ गया।
वो कुछ समझ पाते कि एक तेज झटके के साथ ट्रेन रुक गई और यात्री जान बचाने के लिए यहां से वहा भागने लगे। कूदने के बाद जिस दिशा में पैर गए यात्री उसी दिशा में दौडऩे लगे। 15 मिनट की भागदौड़ के बाद स्थिति समान्य हुई तो यात्री ट्रेन के समीप पहुंचे तो देखा की पटरी टूटी हुई थी और टूटे हुए ट्रैक पर ही एक के बाद एक 6 कोच निकलते चले गए।
train accident in Bilaspur Chhattisgarh” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/06/03/35_4661487-m.jpg”>लोको पायलट ने दिया सूझबुझ का परिचय
लोको पायलट बीके दास ट्रेन चला रहे थे। उन्होंने बताया कि ट्रेन चलाने के दौरान हल्का जर्क महसूस हुआ तो ट्रैक में गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए उन्होंने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया। वह और गार्ड जब नीचे उतर कर ट्रैक की जांच की तो पाया की ट्रैक फ्रैक्चर होकर टूट गया था। की घटना का पता चला। ट्रैक फैक्टर की सूचना लोकोपायलट व गार्ड ने अधिकारियो को अवगत कराया।
लोको पायलट बीके दास ट्रेन चला रहे थे। उन्होंने बताया कि ट्रेन चलाने के दौरान हल्का जर्क महसूस हुआ तो ट्रैक में गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए उन्होंने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया। वह और गार्ड जब नीचे उतर कर ट्रैक की जांच की तो पाया की ट्रैक फ्रैक्चर होकर टूट गया था। की घटना का पता चला। ट्रैक फैक्टर की सूचना लोकोपायलट व गार्ड ने अधिकारियो को अवगत कराया।
40 मिनट में फ्रैक्चर दुरुस्त कर ट्रेन हुई रवाना
रेल फ्रैक्चर की जानकारी लगते ही रिलीफ ट्रेन तत्काल मौके पर पहुंच गई। 40 मिनट की कड़ी मशक्कत के बाद मरम्मत कार्य को पूर्ण कर ट्रेन को पेंड्रा के लिए रवाना किया गया।
कह रहे रोजाना होती है ट्रैक फै्रक्चर की जांच
इस मामले में रेलवे अधिकारियों से जब सवाल पूछा गया तो उनका कहना था कि पडाही क्षेत्र होने के कारण मौसम की मार का सबसे ज्यादा बेलगहना से लेकर पेंड्रारोड स्टेशन तक रहता है। इसके चलते ट्रैक फैक्चर व ट्रैक की देखरेख का काम करने के लिए की-मैन पेट्रोलिंग करते रहते हैं। इसके बाद भी ट्रैक में फ्रैक्चर आ गया इस पर मौसम का हवाला दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि गर्मी के मौसम में पटरियां फैलती हैं इसके कारण ऐसा होता है। हैरानी इस बात की भी है कि रविवार को ही नवतपा खत्म हुआ है जबकि सोमवार को तापमान नवतपा की तुलना में कम ही रहा।
रेल फ्रैक्चर की जानकारी लगते ही रिलीफ ट्रेन तत्काल मौके पर पहुंच गई। 40 मिनट की कड़ी मशक्कत के बाद मरम्मत कार्य को पूर्ण कर ट्रेन को पेंड्रा के लिए रवाना किया गया।
कह रहे रोजाना होती है ट्रैक फै्रक्चर की जांच
इस मामले में रेलवे अधिकारियों से जब सवाल पूछा गया तो उनका कहना था कि पडाही क्षेत्र होने के कारण मौसम की मार का सबसे ज्यादा बेलगहना से लेकर पेंड्रारोड स्टेशन तक रहता है। इसके चलते ट्रैक फैक्चर व ट्रैक की देखरेख का काम करने के लिए की-मैन पेट्रोलिंग करते रहते हैं। इसके बाद भी ट्रैक में फ्रैक्चर आ गया इस पर मौसम का हवाला दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि गर्मी के मौसम में पटरियां फैलती हैं इसके कारण ऐसा होता है। हैरानी इस बात की भी है कि रविवार को ही नवतपा खत्म हुआ है जबकि सोमवार को तापमान नवतपा की तुलना में कम ही रहा।
ट्रैकमैन की बहादुरी व सूझबूझ से दुर्घटना होने से बच गई। रेलवे के पास राहत कार्य संबंधी सभी व्यवस्था उपलब्ध है। अवश्यकतानुसार बेलगहना से लेकर पेंड्रारोड तक ट्रैक मशीन, एक्सीवेटर व अन्य संसाधन है जिन्हें राहत कार्य के तौर पर मद्द पहुंचाई जा सकती है।
पुलकित सिंघल, सीनियर डीसीएम बिलासपुर मंडल
पुलकित सिंघल, सीनियर डीसीएम बिलासपुर मंडल