प्रभु श्रीराम ने एक नहीं दो बार छोड़ा था अपना घर
बिलासपुरPublished: Oct 01, 2018 05:57:53 pm
श्रीराम कथा: सीएमडी कॉलेज परिसर में एक सप्ताह से बह रही भक्ति की बयार
प्रभु श्रीराम ने एक नहीं दो बार छोड़ा था अपना घर
बिलासपुर. भगवान श्रीराम जगत कल्याण के लिए दो बार घर छोड़कर निकले। पहली बार जब विश्वामित्र के साथ निकलते हैं तो उनका प्रयोजन परित्राणाय साधूनाम यानी यज्ञ की रक्षा व संतों का संरक्षण था। जबकि दूसरी बार विनाशाय च दुष्कृताम यानी रावण, कुंभकर्ण जैसे दुष्टों के संहार का लक्ष्य था। भगवान राम चाहते तो वन जाने से इनकार कर सकते थे, लेकिन उन्होंने एेसा नहीं किया और पिता के वचन का पालन करते हुए एक पुत्र का कर्तव्य पूर्ण किया। यह बातें रविवार को संत चिन्मयानंद बापू ने सीएमडी कॉलेज मैदान में श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के दौरान श्रद्धालुओं से कही।
श्री भगवान परशुराम सेवा समिति एवं हिन्दू मंच की ओर से आयोजित श्रीराम कथा में रविवार को वन गमन की कथा सुनाई। संत ने राम केवट संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु राम भाई लक्ष्मण व पत्नी सीता के संग गंगा के किनारे पहुंचते है प्रभु ने केंवट से तीनों को नदी पार कराने को कहा। केंवट समझ गया कि प्रभु कि प्रभु से कृपा प्राप्त करने का एेसा अवसर फिर नहीं मिलेगा। कहा कि आपको अपनी नाव में किस प्रकार बिठाऊ। आपके चरणों की धूल से पत्थर भी नारी हो जाती है। यदि मेरी नाव बदल गई तो मैं अपनी जीविका कैसे चलाऊंगा। हठ करके प्रभु को पैर धुलाने को राजी किया। कठौती में पानी लाकर खुद ही पांव धोया। अपने व परिवार के साथ ही गांव वालों को भी चरणामृत दिया। प्रभु के चरणामृत लेने के लिए देवी-देवता भी भेष बदलकर आ गए। केंवट ने कहा कि प्रभु आप वेदमंत्रों के ज्ञाता हैं। वेद मंत्रों से हमारे पितरों का तर्पण करा दें। इस पर प्रभु ने मंत्र पढ़कर तर्पण कराया। इसके बाद वह नदी पार कराने ले गया। जब सीता माता अपनी सगाई की अंगूठी निकालकर प्रभु राम को दे देती हैं, प्रभु राम मल्लाही के रूप में स्वर्ण मुद्रिका देना चाहते हैं, लेकिन केंवट ने ये कहते हुए लेने से मना कर दिया कि यदि आपको नदी पार कराने के लिए कुछ देना ही है तो मरने के बाद मुझे भवसागर पार करा देना। इस अवसर पर मनोज तिवारी, राजा अवस्थी, चंद्रचूर्ण त्रिपाठी, उत्कर्ष दुबे, गोपाल दुबे, प्रिंस भाटिया, इंद्रपाल सिंह भाटिया, शैलेष पांडे, डॉ. आशुतोष तिवारी, सुभाष अग्रवाल, पुष्पा सैनी, रघुनाथ दुबे, डॉ.प्रदीप शुक्ला, डॉ.विवेक बाजपेयी, सुभाष अग्रवाल, पुष्पा माली, प्रफुल्ल शर्मा, अमित तिवारी, संदीप पांडे, रितेश शुक्ला, अशोक भंडारी, देवेन्द्र सिंह, जवाहर सराफ, ब्रजेश शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
श्रीराम एक आदर्श पुरुष उनके जैसा कोई नहीं
संत चिन्मयानंद बापू ने भगवान राम के वन गमन की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान राम ने जगत कल्याण के भाव से दो बार घर छोड़ा। भगवान राम ने पिता दशरथ के वचन को पूर्ण करने के लिए वन जाने का निश्यच कर लिया। भगवान राम एक आदर्श बेटे, आदर्श पति व आदर्श भाई के तौर पर माने जाते हैं। इनके जैसा भाई, पति व बेटा दुनिया में दूसरा कोई नहीं हुआ।