कलाम विजन 2020- कह नहीं सकता कि कहां खड़े हैं पर हां दूर खड़े हैं- शैलेश पांडेय, विधायक
बिलासपुरPublished: Oct 17, 2019 12:30:58 pm
पत्रिका के कार्यक्रम में पहुंचे बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय ने कलाम के विजन २०२० पर अपनी बात खुलकर रखी
कलाम विजन 2020- कह नहीं सकता कि कहां खड़े हैं पर हां दूर खड़े हैं- शैलेश पांडेय, विधायक
सबसे पहले मैं ये पूछना चाहता हूं मंच से भी और मंच से नीचे भी, हम भारत को किस दिन से गिनें १५ अगस्त १९४७ से या पृथ्वीराज जब हारे थे वहां से देखें, ये सेाचने की बात है आज जिस महापुरुष के बारे में चर्चा कर रहे हैं उनके विजन के बारे में चर्चा कर रहे हैं उन्होंने इस देश में जन्म लिया, इस देश के हर व्यक्ति से प्यार किया, अपनी सेवाएं दी। पंडित जवाहरर लाल नेहरू ने कहा है कि जब तक हम भारत से अंधविश्वास, अशिक्षा को खत्म नहीं करेंगे जब तक देश को आगे नहीं ले जा पाएंगे पंडित जवाहरलाल की ये बातें कलाम के विजन डाक्यूमेंट में है। देश हमारा कृषि प्रधान देश था, एक गाना है आपने सुना होगा जहां डाल डाल पर सोने की चिडिय़ा करती थी बसेरा, मैं गाना नहीं गा रहा, मैं गा कर बता रहा हूं, जब ये गीत बना होगा उस वक्त ये समृद्धशाली रहा होगा तभी तो गीत बना होगा, ऐसे बहुत से गीत हैं मेरे देश की धरती सोना उगले, मैं आपको गीतों के माध्यम से वहां उस दौर तक लेकर जा रहा हूं, हमारा देश एक कृषिप्रधान देश था, हम सब कृषि पर आधारित थे। हां उस समय चुनौतियां बहुत थी, सरकारें भी थीं, ये आती जाती रहती हैं, लेकिन चुनौती सबके सामने थी। पंडित जवाहर लाल के सामने ये चुनौती थी, नेहरू ने कोशिश तो की होगी, हर प्रधानमंत्री ने इस देश के लिए पूरी मेहनत की है चाहे अटल बिहारी हों, इंदिरा गांधी हो, राजीव गांधी हो सबने मेहनत की है। जो हमारा किसान था उसने देखा कि खेती के बाद विकास नहीं होता, उसने अपने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया फिर वो खेती से दूर हो गए। एक समय ऐसा था जब हम निर्यात करते थे एक समय ऐसा भी आया जब आयात किया। हम आगे बढ़ते गए। राजीव गांधी जी आए, उन्होंने कंप्यूटर को जोड़ा, तकनीक को जोड़ा, धीरे धीरे हमारे समाज में परिवर्तन आया। पहले जब हमलोग गुलाम थे तो मैकाले की शिक्षा पद्धति आई, उन्होंने एक अलग पद्धति दी, जो हिंदुस्तान से चाहिए थी वैसी पद्धति बनाई। ऐसा नहीं है कि पहले लोग पढ़ते नहीं थे, लेकिन उनका ये सिस्टम लार्ज स्केल पर लागू हो गया। भारत तब बदलेगा जब हर बच्चा पढ़ेगा, शिक्षा ही परिवर्तन लाएगा। आप लोगों ने विजन २०२० में जो भी बातें कही हैं वो विकास से जुड़ी हैं। ये तभी संभव है जब हम शिक्षा केा महत्व देंगे। हमारा जो शिक्षा का स्ट्रक्चर है वो धीरे-धीरे एजुकेट करता है। डा. कलाम ने जिस प्रकार से विजन २०२० का डाक्यूमेंट रखा ये हमारे लिए एक चुनौती है, आज इस कार्यक्रम में ये सवाल उठ रहा है कि आज हम कहां खड़े हैं, एक साल बचा है वास्तविकता की बात करें तो काफी चुनौतियां है। गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण जैसी चैलेंजेस हमारे सामने, आपके सामने, सरकार के सामने है। मैं समझता हूं कि अभी हमारे सामने कई चुनौतियां है उन चुनौतियों के साथ हमें काम करना है। पीएम कोई हो, सीएम कोई हो सरकार कोई हो सबके सामने चुनौती है। सरकार के पास जो बजट है उसके हिसाब से ही सारे काम करना है। मैं समझता हूं कि एक दिन सपना साकार होगा, गांधी का, नेहरू का, इंदिरा का, राजीव का, अटल विहारी का जिस दिन इन सबका सपना पूरा होगा विजन २०२० स्वयं पूरा हो जाएगा।
हम ये विजन २०२० जब भी प्राप्त करेंगे उस दिन विश्व में हमारे देश का नाम होगा, हमारे यहां प्रतिभा की कमी नहीं है, जरूरत है सही दिशा की हम प्रयास कर रहे हैं।
आज पत्रिका परिवार ने जो ये कार्यक्रम रखा है, मैं आपको बहुत बहुत बधाई देता हूं कि आपने एक अच्छा कार्यक्रम रखा, आपने हमे रास्ता दिखाया, आज मैं ये नहीं कह सकता कि विजन २०२० के साथ कहां खड़े हैं , पर ये कह सकता हूं कि हम दूर खड़े हैं।