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मां ने बेटे से कहा, परसेंटेज अपनी जगह, अच्छे इंसान बनना बड़ी बात

locationबिलासपुरPublished: May 12, 2019 11:21:57 am

Submitted by:

Murari Soni

छोटी बहन के 81 प्रतिशत और बेटे ने हासिल किए 59.4

Mothers day special story in Bilaspur Chhattisgarh

मां ने बेटे से कहा, परसेंटेज अपनी जगह, अच्छे इंसान बनना बड़ी बात

बिलासपुर. बोर्ड परीक्षा में कम अंक आनेे पर जब दोस्त-यार, रिश्तेदार, मोहल्ला पड़ोस ताने दे रहे थे। मैं निराश था। रिजल्ट के दिन शाम होते-होते यूं लगा जैसे मेरा कॉन्फिडेंस है ही नहीं। मगर मेरी मां ने मुझे समझा और बात की। मां की बात सुनकर तो जैसे मैं भूल ही गया कि कोई परसेंट ही सबकुछ होते हैं। यह कहना है 12वीं में 59 फीसदी अंक लाकर परेशान होने वाले अमन देवांगन का। अमन की खुद से एक्सपेक्टेशन यह थी कि वह 90 फीसदी तक लाएगा। मगर नतीज़ों ने बहुत निराश किया। अमन परेशान था तो मन को उजास से भरने आई उसकी मां करुणा। पढि़ए पूरी कहानी, कैसे एक मां ने अपने बेटे को उबारा निराशा से।
मां ने एक साथ फेरा बेटा-बेटी के सिर पर हाथ
विगत दिन 10वीं-12वीं छत्तीसगढ़ बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट एक साथ आया। इन नतीज़ों में बिलासपुर की रहने वाली करुणा देवांगन के दोनों बच्चे सफल तो हुए, मगर अंकों में बड़ा फासला रहा। करुणा की छोटी बेटी आरुषि को दसवीं में 81 प्रतिशत अंक मिले और बेटे अमन को बारहवीं में 59.3 प्रतिशत। ऐसे में बिटिया की खुशी में खलल न हो और बेटा भी निराश न हो, यह करुणा के सामने चुनौती थी। बेटा अमन कम नंबर आने पर थोड़ा परेशान था। एक मां होने के नाते करुणा देवांगन बच्चों की फीलिंग समझ गई थी। उन्होंने दोनों बेटा-बेटी से कहा कि आप दोनों ने परीक्षा पास कर ली यही मेरे कि गौरव की बात है। बेटा अमन को प्रोत्साहित किया और बेटे के चेहरे पर फिर से मुस्कान वापिस आ गई।
बच्चों से कहा जो पसंद है वह फील्ड चुनो
स्वतंत्र देवांगन और करुणा देवांगन की बेटी आरुषि देवांगन कन्या शाला में 10वीं की छात्रा है। बेटा अमन छत्तीसगढ़ स्कूल में 12वीं का छात्र है। देवांगन दंपत्ति ने दोनों बेटों से कहा कि आपको जिस फील्ड, सबजेक्ट को लेकर आगे की पढ़ाई करना है करो। हम आप लोगों पर अपनी इच्छाएं नहीं थोपेंगे। जिस विषय में अच्छा कर सकते हैं, आपको पसंद है वह फील्ड चुनो।
मां बोली, परसेंटेज अपनी जगह इंसान अच्छे बनो
अपने कम से अंक से परेशान अमन ने बताया, मुझे तो लगा जैसे जान दे दूं। मगर मां ने वक़्त पर मुझे समझा। वह बोली, एक अच्छा इंसान लाख परसेंटेज से बड़ा होता है। तुम पर मुझे भरोसा है। तुम भविष्य में एक सफल आदमी बनोगे। परसेंट भी लाओगे। मुझे इस बात का फख़्र है कि तुमने मेहनत पूरी की। अमन बताते हैं, यह शब्द मेरे कानों में जैसे एक प्रेरणा बनकर घुले। तभी मैंने प्रण किया अपनी मां को एक दिन ज़रूर ऐसा कुछ करके दिखाऊंगा जो उसने मुझसे एक्सपेक्ट किया है।
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रिजल्ट की मुझे भी रहती है चिंता
जब मेरे बच्चों की परीक्षा प्रारंभ होती है तो मेरी भी चिंता बढ़ जाती है। जब तक बच्चे पढ़ाई करते हैं मैं भी जगती हंू और उसे जरुरत की सामान उपलब्ध कराती हंू। उनकी परीक्षा के खत्म होने से लेकर उसके रिजल्ट के आने तक मेरी चिंता बनी रहती हैं। मैं तो कम पढ़ी-लिखी हंू, लेकिन मुझे ऐसा महसूस होता है कि मैं भी एक छात्र के रूप में परीक्षा दिला रही हंू।
लछन सक्सेना, ग्रहिणी
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