नाग पंचमी मंगलवार, 2 अगस्त को सुबह 5 बजकर 13 मिनट से शुरू
पंचमी तिथि समाप्त – 3 अगस्त को सुबह 5 बजकर 41 मिनट पर खत्म
नाग पंचमी का महत्व
सनातन धर्म में सर्प को पूजनीय माना गया है। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है और उन्हें गाय के दूध से स्नान कराया जाता है। माना जाता है कि जो लोग नाग पंचमी के दिन नाग देवता के साथ ही भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक करते हैं, उनके जीवन से कालसर्प दोष खत्म हो जाता है। साथ ही राहु और केतु की अशुभता भी दूर होती है। माना जाता है कि इस दिन घर के मुख्य द्वार पर अगर सर्प का चित्र बनाया जाए तो उस घर में नाग देवता की खास कृपा होती है और घर से लोगों के सभी दुख दूर हो जाते हैं।
नाग पंचमी की पूजा-विधि
नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नामक देव नागों की पूजा की जाती है. पूजा में हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर नागदेवता की पूजा करें। कच्चे दूध में घी और चीनी मिलाकर नाग देवता को अर्पित करें। इसके बाद नाग देवता की आरती उतारें और मन में नाग देवता का ध्यान करें। अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें।