बिलासपुर

नाग पंचमी आज

भगवान शिव के आभूषण नाग देव की पूजा का पर्व नागपंचमी आज सावन मास की शुक्ल पंचमी तिथि को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में नागों की पूजा के इस पावन पर्व का बहुत महत्व है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, नागों की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति, अपार धन और मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है।

बिलासपुरAug 02, 2022 / 12:54 am

SATISH PRASAD

नागपंचमी पर भगवान शिव के आभूषण नाग देव की पूजा की जाती है

भगवान शिव के आभूषण नाग देव की पूजा का पर्व नागपंचमी आज सावन मास की शुक्ल पंचमी तिथि को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में नागों की पूजा के इस पावन पर्व का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान शिव के आभूषण नाग देव की पूजा की जाती है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, नागों की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति, अपार धन और मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है।
सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। आमतौर पर हरियाली तीज के दो दिन बाद नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। नाग पंचमी के दिन स्त्रियां नाग देवता की पूजा करती हैं और सांपों को दूध पिलाया जाता है। इस साल नाग पंचमी का त्योहार 2 अगस्त मंगलवार को मनाया जाएगा। नाग देवताओं की पूजा के लिए श्रावण मास की पंचमी तिथि काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। तो आइए जानते हैं नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजन विधि।
नाग पंचमी शुभ मुहूर्त
नाग पंचमी मंगलवार, 2 अगस्त को सुबह 5 बजकर 13 मिनट से शुरू
पंचमी तिथि समाप्त – 3 अगस्त को सुबह 5 बजकर 41 मिनट पर खत्म
नाग पंचमी का महत्व
सनातन धर्म में सर्प को पूजनीय माना गया है। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है और उन्हें गाय के दूध से स्नान कराया जाता है। माना जाता है कि जो लोग नाग पंचमी के दिन नाग देवता के साथ ही भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक करते हैं, उनके जीवन से कालसर्प दोष खत्म हो जाता है। साथ ही राहु और केतु की अशुभता भी दूर होती है। माना जाता है कि इस दिन घर के मुख्य द्वार पर अगर सर्प का चित्र बनाया जाए तो उस घर में नाग देवता की खास कृपा होती है और घर से लोगों के सभी दुख दूर हो जाते हैं।
नाग पंचमी की पूजा-विधि
नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नामक देव नागों की पूजा की जाती है. पूजा में हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर नागदेवता की पूजा करें। कच्चे दूध में घी और चीनी मिलाकर नाग देवता को अर्पित करें। इसके बाद नाग देवता की आरती उतारें और मन में नाग देवता का ध्यान करें। अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.