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CG Analytical Story 4 लाख की आबादी को पानी पिलाने वाले निगम प्रशासन के पास एक प्लंबर तक नहीं

locationबिलासपुरPublished: Jan 19, 2018 10:33:54 pm

Submitted by:

Amil Shrivas

आग लगने पर कुआं खोदने जैसा हाल, हाईकोर्ट की तल्खी के बाद 100 पदों की शासन से मांगी जा रही स्वीकृति…

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बिलासपुर . 4 लाख की आबादी को पानी पिलाने वाले निगम प्रशासन के पास एक प्लंबर तक नहीं है। हाईकोर्ट की तल्खी के बाद अब शासन से जलकार्य विभाग के लिए 100 पदों के सेटअप की मांग का प्रस्ताव भेजा जा रहा है। वहीं एनबीएल से यहां के पीएचई की उसी लैबोटरी को अपग्रेड कर मान्यता देने की मांग की जा रही है, जिसे न्यायमित्र ने अपनी रिपोर्ट में धूलधूसरित और बीमार बताया है। हाईकोर्ट द्वारा संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन में स्थानीय निकाय को फेलवर बताते हुए की गई टिप्पणी से खलबली मची हुई है। कोर्ट ने हालात को देखते हुए कहा था कि क्यों न परिषद को भंग कर दिया जाए। इसके बाद अफसर और जनप्रतिनिधि सकते में हैं। यह संकट तब आया जब न्याय मित्र द्वारा हाईकोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया कि बिलासपुर और रायपुर निकाय द्वारा की जा रही जलापूर्ति के पानी में ईकोलाई नामक बैक्टीरिया पाया गया है। हाईकोर्ट की तल्खी के बाद आनन-फानन में एमआईसी की बैठक आयोजित कर जलप्रदाय व्यवस्था में सुधार करने के लिए तैयार कार्ययोजना को पारित कराकर हाईकोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करने पेपर तैयार कराया गया। दो दिन बाद 16 जनवरी को हाईकोर्ट में निगम प्रशासन द्वारा शपथ पत्र दाखिल कर बताया जाना है कि पूर्व में निकाय को दिए गए निर्देशों में से कितने का पालन किया गया और कितने का नहीं।
ये है रिपोर्ट में – स्थानीय निकाय द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले शपथ पत्र में बताया गया है कि सभी 25 पानी टँकियों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का कार्य प्रगति पर है। 20 प्लंबर, 5 इलेक्ट्रीशियन, 4 सब इंजीनियर, 8 असिस्टेंट इंजीनियर समेत 100 स्टाफ की भर्ती के लिए प्रस्ताव भेजा जा रहा है। यहां के पीएचई के लैब को अपग्रेड कर मान्यता देने नई दिल्ली गुडग़ांव के एनएबीएल मुख्यालय को पत्र भेजा गया है कि वे यहां प्रशिक्षण की व्यवस्था करें। नाले-नालियों के अंदर से गुजर रहे पाइप लाइन को दुरुस्त कराया जा रहा है, अभी तक करीब 10 किलोमीटर पाइप लाइन को नाले-नालियों से बाहर कराया जा चुका है, करीब 9 किलोमीटर शेष है, जिसे अमृत मिशन के तहत कराया जाना है, 96 करोड़ की लागत से बिछाई जाने वाली डिस्ट्रीब्यूशन लाइन में ही इसके लिए प्रावधान किया गया है, इस कार्य को कराने के लिए अमृत मिशन के नोडल अधिकारी को रिमाइंडर भेजा गया है।
पीएचई के लैब पर न्यायमित्र ने की थी टिप्पणी – बताया जाता है हाईकोर्ट के निर्देश पर न्यायमित्र ने पीएचई के लैब का निरीक्षण कर जो रिपोर्ट प्रस्तुत की है उसमे पीएचई के लैब को धूल धूसरित और गंदा बताया गया है। इसके अलावा स्टाफ के टोंटे को लेकर भी टिप्पणी की गई है इतना बड़ा लैब केवल एक डेलीवेजस केमिस्ट के भरोसे संचालित है।
3 से 5 गुना बढ़ोतरी के बाद भी नहीं आया सुधार – 463 पंपों और 25 पानी टंकियों के जरिए शहरवासियों को पानी की आपूर्ति करने वाले निगम प्रशासन के पास एक प्लंबर तक नहीं है। जल आपूर्ति व्यवस्था में सुधार और व्यय अधिक होने का हवाला देकर परिषद ने जलकर में तीन से पांच गुना तक बढ़ोतरी तो कर दी लेकिन व्यवस्था में सुधार आज तक नहीं आ सका।
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