बीजापुर सीएएफ कैप में ट्रेडमैन आरक्षक के रूप में पदस्थ कोनी अंतर्गत ग्राम रमतला निवासी मन्नूलाल सूर्यवंशी पिता परमानंद सूर्यवंशी ( 36) 13 सितंबर को सुबह से अचानक कैंप से लापता हो गए थे। इसकी सूचना मन्नूलाल के परिजनों को सीएएफ कैंप के जवानों ने मोबाइल से दी थी। मन्नूलाल के भाई विरेन्द्र, उनके पिता परमानंद, ससुर कन्हैयालाल और चाचा नारायण निजी वाहन से 13 सितंबर को बीजापुर गए थे। 3 दिनों तक चारों वहां रूके थे और 16 सितंबर को वापस गांव आ गए थे। 18 सितंबर को सुबह मन्नूलाल की लाश बीजापुर कोतवाली अंतर्गत गंगालूर मार्ग पर सड़क किनारे मिला। नक्सलियों ने गला रेंतकर उसकी हत्या की थी और लाश के पास पर्चे फेंके थे, जिसमें गंगालूर एरिया कमेटी ने उसकी हत्या की हिम्मेदारी दी थी।
भाई ने कहा, गलती पुलिस और सीएएफ जवानों और अधिकारियों की कोनी रमतला में रहने वाले शहीद मन्नूलाल सूर्यवंशी के भाई विरेन्द्र सूर्यवंशी ने बताया कि उसके भाई के लापता होने की सूचना मिलने पर वे परिजनों के साथ सीएएफ कैंप गए थे। 13 से 16 सितंबर तक वे बीजापुर में थे। सीएएफ कैंप चारो ओर से कटीले तार से घिरा है। वहां कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति के अंदर प्रवेश और बाहर नहीं निकल सकता। एेसे में उसके भाई के १३ सितंबर को सुबह सेलापता होने की बात जवानों ने उन्हें बताया है। मन्नूलाल यदि बाहर निकला तो उसे किसी जवान ने क्यों नहीं रोका और गायब होने के बाद उसकी गुमशुदगी की सूचना थाने में दर्ज करा दी गई। उसे ढूंढने का प्रयास नहीं किया गया। समय पर सीएएफ जवान , अधिकारी और स्थानीय पुलिस उसे ढूंढने का प्रयास करती तो उसके भाई की माओवादी हत्या नहीं करपाते।
तीन बच्चों के सिर से उठा पिता का साया सन 2006 में विरेन्द्र का विवाह शशी से हुआ था।उनके तीन बच्चे हैं। बड़ी बेटी रागिनी ( 11), छोटी बेटी श्वेता( 9) और बेटा सूरज (6) हैं। दो बेटियों के जन्म के बाद मन्नूलाल की सन 2013 में सीएसफ में नौकरी लगी थी। मन्नूलाल के शहीद होने के बाद तीनों बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। बाक्स मार्च में आया था गांव विरेन्द्र ने बताया कि उसका भाई मन्नूलाल मार्च महीने में गांव आयाथा। लॉक डॉउन के कारण वह गांव में रूक गया था। सीएएफ अधिकारियों ने उसे कोनी थाने में आमद देने कहाथा। कोनी थाने में सूचना देने के बादवह गांव में परिवार के साथ रह रहा था। इसके बाद सीएएफ अधिकारियों के आदेश पर वह दो महीने के बाद वापस बीजापुर चला गया था।
4 भाईयों और 1 बहन में था सबसे बड़ा जानकारी के अनुसार मन्नूलाल 4 भाइयों और 1 बहन में सबसे बड़ा था। मन्नूलाल से छोटे शैलेन्द्र सूर्यवंशी,महेन्द्र सूर्यवंशी, विरेन्द्र सूर्यवंशी और संतोषी सूर्यवंशी हैं। उनके पिता परमानंद और मां सभी संयुक्त परिवार के रूप में रहते हैं। बाक्स 15 दिन पहले पत्नी से हुई थी बात शहीद मन्नूलाल की पतनी शशी ने बताया कि 15 दिनों पूर्व पति से उनकी मोबाइल पर बातें हुई थी। बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्होंने मन्नूलाल से पैसे भेजने कहा था। मोबाइल पर उन्होंने कुछ दिनों से परेशान रहने की बात कही थी। किन कारणों से परेशन थे इसकी जानकारी उन्होंने किसी को नहीं दी थी।
मानसिक अवसाद में था मन्नूलाल
विरेन्द्र ने बताया कि बीजापुर पहुंचने के बाद मन्नूलाल के साथी सतीश ने उन्हें बताया कि मन्नूलाल पिछले कुछ दिनों से बच्ची को गोली मारने और कैंप में रहने के दौरान दरवाजे और खिड़कियां बंद करने की बातें करता था। वह मानसिक अवसाद में था। विरेन्द्र ने कहा कि उसके भाई की मानसिक स्थिति खराब थी तो अधिकारियों को उसके स्वास्थ्य पर ध्यान देते हुए उसका उपचार कराना था, लेकिन किसी ने उसके भाई को बचाने का प्रयास नहीं किया। विरेन्द्र ने बताया कि समीश मन्नूलाल का पार्थिव देह लेकर बीजापुर से गांव आ रहा है, उसके आने के बाद और जानकारी मिल पाएगी। बाक्स आज होगा अंतिम संस्कार शहीद के भाई विरेन्द्र ने बताया कि बीजापुर से शुक्रवार दोपहर ३ बजे मन्नूलाल का पार्थिव देह लेकर सड़क मार्ग से जवान गांव लेकर आने की जानकारी दिए है।
शनिवार तड़के ४बजे तक गांव पहुंचने की जानकारी जवानों ने उन्हें दी है। यहां पहुंचने के बाद शनिवार को अंतिम संस्कार होगा। बाक्स गांव में पसरा सन्नाटा गांव के सपूत मन्नूलाल के शहीद होने की खबर मिलते ही शुक्रवार सुबह से गांव में मातम पसर गाया। गांवमें उसके पार्र्थिव देह के गांव लाने के इंतजार में महिलाएं घरों के बाहर बैठी रही। मोहल्ले में लोग एक साथ झुड़ लगाकर मन्नूलाल के पार्थिव देह के आने की प्रतीक्षा करते रहे। वहीं गांव की दुकानें बंद रही और सड़क परसन्नाटा पसरा रहा।