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अब बैलेट से नहीं पार्षद चुनेंगे मेयर, भाजपा बोली डर गई है कांग्रेस, जकांछ बोली शुरू होगी हार्स ट्रेडिंग, कांग्रेसी बोले भाजपा खुद ही निराधार

locationबिलासपुरPublished: Oct 13, 2019 11:47:38 am

Submitted by:

Murari Soni

वर्तमान में जिले के निकायों में तीन जगह भाजपा, दो जगह कांग्रेस और दो जगह जोगी कांग्रेस

mayor election 2022

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बिलासपुर। मेयर चुनाव पद्धति को लेकर आई खबर के बाद हलचल की स्थिति है। भजपा जहां प्रदेश कंाग्रेस सरकार पर हमलावर हो गई है वहीं जकांछ ने भी ताल ठोक दी है। भाजपा ने तो साफ कह दिया है कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव के हार के बाद डर चुकी है इसलिए ऐसा कदम उठा रही है जबकि जकांछ ने कहा कि सरकार ने निकाय चुनाव में खुलेआम हार्स ट्रेडिंग को बढ़ावा देने का काम किया है। इन सब के जवाब में कांग्रेस का कहना है कि अभी टीम बनाई गई है रिपोर्ट आने के बाद देखा जाएगा। विदित हो कि मेयर का चुनाव पार्षद कर सकते हैं इस बावत पत्रिका ने पूर्व में ही खबर का प्रकाशन किया था।
इस मामले में भाजपा मुखर हो गई है। उसका कहना है कि मेयर चुनाव के लिए मंत्रियों की कमेटी बनाना एक फारमेल्टी है। वहीं राजनीतिक पंडितों की मानें तो पार्षदों के माध्यम से महापौर चुना जाएगा तो इसका सीधा नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है। ऐसे में भाजपा का कहना है कि कांग्रेस हार के डर से महापौर चुनाव का अधिकार जनता से छीन रही है।
अब यदि वर्तमान परिस्थिति के लिहाज से बिलासपुर निगम की गणना करें तो वर्तमान में 38 पार्षद भाजपा से हैं, 24 कांग्रेस से हैं, चार निर्दलीय हैं। परिसीमन के बाद तिफरा, सिरगिट्टी और सकरी इसमें शामिल हो गए हैं। इसके तहत तिफरा में भाजपा का अध्यक्ष है, सिरगिट्टी व सकरी में भी भाजपा का ही अध्यक्ष है। तिफरा में कांग्रेस के छह, निर्दलीय दो और भाजपा के सात पार्षद हैं। वहीं सिरगिट्टी में दो निर्दलीय नौ भाजपा और चार कांग्रेस से हैं। क्योंकि विधानसभा में कांग्रेस का प्रदर्शन बिलासपुर में बेहतर है साथ ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है इसलिए पार्टी इस बात को लेकर आश्वस्त है कि बिलासपुर निगम उनकी पकड़ से बाहर नहीं जाएगा।
क्या है निकायों की स्थिति
बिलासपुर नगर निगम, तिफरा, सिरगिट्टी, मल्हार, सकरी, कोटा में भाजपा है। जबकि गोरैला व पेंड्रा में जोगी कांग्रेस है। वहीं बोदरी, रतनपुर और तखतपुर में कांग्रेस का कब्जा है।
नई मुश्किल में फंसे दावेदार
अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली से दोनों ही पार्टियों में महापौर व नगर निगम तथा नगरपंचायत अध्यक्ष पर के दावेदार एक नई मुश्किल में फंस गए है। इससे अब उन्हें महापौर या नगर पालिका व नगर पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए पहले वार्ड पार्षद का चुनाव लडऩा होगा। इसमे जितने पर ही वे आगे के लिए दावा कर सकते है। बहरहाल, इस निर्वाचन पद्धति से नगरीय निकाय चुनाव कराने नियमो में वांछित बदलाव के लिए मंत्री मंडल उप समिति गठित कर दी गई है।
जिसकी रिपोर्ट को मंजूरी के बाद निगम व पालिका चुनाव की नई पद्धति लागू करने की राह आसान हो जाएगी।रहेगा खतराअप्रत्यक्ष चुनाव में अविश्वास प्रस्ताव का खतरा हमेशा बना रहेगा। संख्या बल के आधार पर मेयर या अध्यक्ष का चुनाव होगा ऐसे में गुटीय राजनीति जरा भी हावी हुई तो सरकार गई वाली स्थिति होगी। .क्या कहते है नेता ..
प्रदेश के मुख्यमंत्री महासमुंद व बिलासपुर में मीडिया के सामने बयान दे चुके थे कि महापौर का चुनाव जनता से कराएंगे।
लेकिन अब महापौर का चुनाव पार्षदों से कराने की तैयारी कर रहे हैं यह इस बात का संकेत देती है कि कांग्रेस प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव जीतने के लायक नहीं है। कांग्रेस ऐसा करके जनता से अपने महापौर चुनने के अधिकार को छिना रही है हम इसका विरोध करेगें।
अमर अग्रवाल ,प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव प्रभारी
वर्जन- नगरीय निकाय चुनाव में सीधे निर्वाचन को समाप्त कर पार्षदों को प्रलोभन देकर अपने महापौर अध्यक्ष चुना जाएगा। जनता का अधिकार छीनना सरासर अलोकतांत्रिक है। इससे साफ हो गया है कि जनता कांग्रेस से उब चुकी है। जनता कांग्रेस मांग करती है दलबदल कानून नगरीय निकाय चुनाव पर भी लागू किया जाए।
अमित जोगी ,पूर्व विधायक मरवाही
नगरीय निकाय चुनाव के लिए अभी केवल टीम गठित हुई है। फायनल नहीं हुआ है। रही बात भाजपा की तो प्रदेश से उनका जनाधार खत्म होते जा रहा है यह दंतेवाड़ा के चुनाव से स्पष्ट हो गया है। प्रदेश की नगरीय निकाय चुनाव कांग्रेस जीत रही है, हम नहीं भाजपा घबरा रही है।
शिव डहरिया नगरीय प्रशासन मंत्री

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