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अंतत: धरम की हुई विदाई, कार्यकर्ताओं की नाराजगी पड़ी भारी

locationबिलासपुरPublished: Mar 09, 2019 11:45:12 am

Submitted by:

BRIJESH YADAV

उनकी जगह प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व पूर्व मंत्री एवं वर्तमान सांसद विक्रम उसेंडी को दिया गया है

Now MP Vikram Usendi will be the BJP state president

अंतत: धरम की हुई विदाई, कार्यकर्ताओं की नाराजगी पड़ी भारी

बिलासपुर. विधानसभा चुनाव में हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक की अंतत: अध्यक्ष पद से विदाई हो गई। उनकी जगह प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व पूर्व मंत्री एवं वर्तमान सांसद विक्रम उसेंडी को दिया गया है। हार के बाद भी धरम को नेताप्रतिपक्ष का दायित्व दिए जाने के बाद वैसे तो हटाया जाना था लेकिन इसकी मुख्य वजह कार्यकर्ताओं की नाराजगी को बताया जा रहा है।
विधानसभा चुनाव में हुई हार के बाद प्रदेश भर के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की नाराजगी खुलकर सामने आई। निशाने पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक सभी ने इन्हें हार का जिम्मेदार ठहराया तो पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ने उल्टे कार्यकर्ताओं पर काम नहीं करने का बयान देकर हार का ठींकरा फोडऩे का प्रयास किया। नाराजगी तब और खुलकर सामने आ गई जब विधानसभा में मिली करारी पराजय के बाद प्रदेश अध्यक्ष के ख् िालाफ कार्रवाई करने के बजाए उन्हें विधानसभा में नेताप्रतिपक्ष का दायित्व भी सौंप दिया गया। पार्टी के नेताओं ने खुलकर बयान दिए वहीं एक पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक के पीए ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर खुला विरोध किया इसके बाद बयानों का दौर शुरू हो गया।
पार्टी में हो रही फजीहत के कारण धरमलाल को प्रदेश अध्यक्ष और नेताप्रतिपक्ष के दोहरे दायित्व पर रखा गया, लेकिन विरोध शांत होने के बाद आखिरकार उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के दायित्व से मुक्त कर उनकी जगह पूर्व मंत्री एवं सांसद विक्रम उसेंडी को प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया है। वे भी हाल ही में अंतागढ़ विधानसभा से चुनाव हारे। वे लोकसभा के सदस्य हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में वन मंत्री भी रह चुके हैं।
आदिवासी वोट बैंक को साधने की कवायद
पूर्व मंत्री एवं सांसद विक्रम उसेंडी को प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व देने के पीछे बड़ी वजह आदिवासी वोटों को साधना है। यही वजह है कि ऐन लोकसभा चुनाव के पहले उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के पद का दायित्व सौंपा गया है। इस पद के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री विष्णुदेव साय, पूर्व मंत्री केदार कश्यप और वरिष्ठ भाजपा नेता एवं राज्य सभा सदस्य नंद कुमार साय का भी नाम था। बताया जाता है कि उन्हें एसटी कमीशन के चेयरमेन और संवैधानिक दायित्व पर होने े कारण प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी नहीं दी गई।
सवन्नी फैक्टर भी पड़ा भारी
बताया जाता है कि विधानसभा के नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के करीबी प्रदेश प्रवक्ता और गृहनिर्माण मंडल के अध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी के कार्यव्यवहार को लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी रही, इसके बाद भी नेता प्रतिपक्ष ने उन्हें अपना सारथी बना रखा है यही नाराजगी भारी पड़ गई ऐसी चर्चा है।
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