रेलवे की जमीन पर हुए बेजा कब्जा को हटाने के लिए रेलवे के अधिकारी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है। इस कारण यहां बेजा धारियों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है। आरपीएफ बेजा बढ़ाने के बाजार मास्टर को जिम्मेदार बताने में लगे हुए है। तो वही बाजार मास्टर समय समय पर कार्रवाई का हवाला देते नहीं थकते। दोनों विभाग के बीच समन्वय की कमी के चलते कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति ही चल रही है। रेलवे अधिकारियों की मानें तो बुधवारी बाजार का विवाद काफी पुराना हाईकोर्ट से भी इसे लेकर गाइड लाइन जारी की गई है। विवाद की स्थिति तब है, जब फुटपाथ में दुकान लागने वाले व्यापाररियों को रेलवे ने सब्जी मार्केट की ओर जगह तक अलाट कर रखी है। बावजूद इसके फुटपाथ के व्यापारी सड़क तक अपनी दुकानदारी लगाए बैठे हैं। बाजार मास्टर व आरपीएफ के कुछ कर्मचारियों की शह पर बेजा कब्जा व्यापारियों का कारोबार फलफूल रहा है। शायद यही वजह है कि लगातार शिकायतों के बाद भी अधिकारी इस ओर ध्यान देने से बचते नजर आते है।
आरपीएफ के पास नहीं कार्रवाई का अधिकार
आरपीएफ के अधिकारियों की माने तो बुधवारी बाजार का एरिया इंजीनियरिंग विभाग का है। कार्रवाई का अधिकार भी उसी का है। बाजार से बेजा कब्जा हटाने का अधिकार आरपीएफ के पास नहीं है। सड़क जाम हो रही है तो स्थानिय तोरवा पुलिस भी व्यवस्था को बनाने का काम कर सकती है।
आरपीएफ के अधिकारियों की माने तो बुधवारी बाजार का एरिया इंजीनियरिंग विभाग का है। कार्रवाई का अधिकार भी उसी का है। बाजार से बेजा कब्जा हटाने का अधिकार आरपीएफ के पास नहीं है। सड़क जाम हो रही है तो स्थानिय तोरवा पुलिस भी व्यवस्था को बनाने का काम कर सकती है।
बुधवारी बाजार के मुख्य मार्ग पर दुकान लगाने का अधिकार रेलवे ने दे रखा है रास्ता क्लीयर कराने कई बार कोशिश की गई थी। लेकिन पुलिस सिर्फ सुझाव दे सकती है। अमल करना रेलवे का काम है।
रोहित बघेल, एएसपी यातायात
रोहित बघेल, एएसपी यातायात