मामला बिलासपुर जिले की जनपद पंचायत बिल्हा का है। ग्राम पंचायत मोहतराई में सरपंच पद के लिए हुए चुनाव में राजेश्वरी साहू विजयी हुई थी। उसने सरपंच का कामकाज भी संभाल लिया था। वार्डाें में विकास कार्य को लेकर पंचों के साथ विवाद की स्थिति बनी। पंचों ने विकास कार्य में भ्रष्टाचार और वार्डों में विकास कार्य कराने में भेदभाव का आरोप लगाते हुए सरपंच के विरुद्ध कलेक्टर के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव के लिए आवेदन प्रस्तुत किया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर ने जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को इस संबंध में निर्देशित किया था। जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने अविश्वास प्रस्ताव के लिए 28 जनवरी 2022 की तिथि तय करते हुए इसी दिन पंचायत का सम्मेलन बुलाया। पंचायत के सम्मेलन में सरपंच राजेश्वरी साहू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया पूरा करने के लिए मतदान की घोषणा की गई। मतदान के बाद परिणाम की घोषणा की गई। जिसमें सरपंच राजेश्वरी साहू विश्वास मत हासिल नहीं कर पाई। अविश्वास प्रस्ताव में पराजित होने के बाद छत्तीसगढ पंचायत राज अधिनियम की धारा 21 के तहत राजेश्वरी साहू को पद से हटा दिया गया। सरपंच के रिक्त पद पर जनपद पंचायत सीईओ ने सात फरवरी 2022 को उत्तमा राव को पदभार ग्रहण करने का आदेश जारी किया। सीईओ के आदेश पर चुनाव में प्रतिद्वंदी रहीं उत्तमा राव ने सरपंच का पदभार ग्रहण कर लिया। निवृतमान सरपंच राजेश्वरी साहू ने अविश्वास प्रस्ताव की कार्रवाई को चुनौती देेते हुए कलेक्टर कोर्ट के समक्ष अपील पेश की। कलेक्टर ने मामला अपर कलेक्टर के कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। मामले की सुनवाई करते हुए अपर कलेक्टर ने 25 अप्रैल 2022 को अविश्वास प्रस्ताव को सही ठहराते हुए अपील खारिज कर दी थी। पूर्व सरंपच ने इसे आयुक्त के कोर्ट में चुनौती दी थी। आयुक्त ने मामला अपर आयुक्त को भेज दिया था। अपर आयुक्त ने अविश्वास प्रस्ताव की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। अपर आयुक्त के आदेश को चुनौती देते हुए सरपंच उत्तमा राव ने हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की। मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस साहू ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि एक बार अविश्वास प्रस्ताव के पारित होेने के पश्चात स्थगन आदेश नहीं दिया जा सकता।