कोरोना काल में आर्थिक तंगी की मार झेल रहे अभिभावकों की पहले ही परिस्थिति खराब है, उस पर ट्यूशन फीस के नाम पर निजी स्कूलों ने 15 से 20 हजार रुपए पटाने का बोझ डाल दिया है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से पूर्व में व्यवस्था सुधार के नाम पर तत्कालीन कलेक्टर संजय अंलग ने निजी स्कूलों को आदेश जारी कर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा स्कूल की फीस को अनुमोदित कर लेने का आदेश दिया था।
कुछ दिनों तक चली व्यवस्था बाद में फिर चरमरा गई और स्कूल प्रबंधन अपनी मनमानी पर उतर आए हैं। हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि निजी स्कूल फीस जमा न कर पाने वाले अभिभावकों के बच्चो को निजी क्लास से बाहर नहीं कर सकते, बावजूद इसके शिक्षा माफिया सारे आदेशों को दरकिनार शासन, प्रशासन व विपक्ष से साठगांठ कर अभिभावकों पर दबाव बनाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। अभिभावकों ने कहा कि अब तक निजी स्कूल सैकेड़ों बच्चों को बाहर कर चुकी हैं। हम कलेक्टर व जिला शिक्षा अधिकारी से बात कर स्कूल प्रबंधनों की मनमानी पर लगाम लगाने की मांग कर रहे हैं।
हमारी मांग अनुमोदन फीस
सर्व स्कूल अभिभावक व विद्यार्थी कल्याण संघ का कहना है कि हम स्कूल फीस नहीं पटाना चाहते यह बात नहीं है हम केवल यही चाहते हैं कि जिला प्रशासन मामले में हस्तक्षेप कर ट्यूशन फीस को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से अनुमोदित करे, इससे यह पता रहे कि ट्यूशन फीस कितनी है क्योंकि स्कूल प्रबंधन ट्यूशन फीस के नाम पर बस व अन्य साधन के खर्च को जोड़कर फीस की मांग कर रहा है।
सुबह से शाम तक करते रहे इंतजार
अभिभावक संघ का कहना है कि 100 से अधिक अभिभावक अपनी मांग को लेकर कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे। सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक अभिभावक कलेक्टर व जिला शिक्षा अधिकारी के आने का इंतजार करते रहे, लेकिन दोनों ही नहीं पहुंचे। अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि कलेक्टोरेट के अधिकारियों ने कलेक्टर व जिला शिक्षा अधिकारी को हमारे आने की सूचना दे दी थी, शायद इस कारण दोनों ही अधिकारियों ने कार्यालय आकर बात करना मुमकिन नहीं समझा।