READ MORE : ग्रामीणों को लगाया 50 करोड़ का चूना, भटक रहे एजेंट, जानें क्या है मामला सबसे पहले कोरबा के शहीद मूलचंद कंवर के शव को कोरबा के लिए रवाना किया गया। उसके बाद शहीद विनोद कौशिक के शव को लेकर पुलिस की एक टुकड़ी घर के लिए रवाना हुई। रास्ते भर नम आंखो से बहते आंसू लोगों की सिसकियों के बीच शहीद की यात्रा उनके घर तक पहुंची। शहीद का अंतिम संस्कार पैतृक खेत मउहारभांठा में राजकीय सम्मान के साथ किया गया। नगरीय निकाय मंत्री अमर अग्रवाल, सांसद लखनलाल साहू, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, विधायक दिलीप लहरिया ने भी शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की।
शहीद विनोद कौशिक पंचतत्व में विलीन : गृहग्राम सीपत में शहीद विनोद कौशिक की अंतिम यात्रा निकली। उनके अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। खेत में पूरे विधि-विधान के साथ शहीद के भाई विनेंद्र कौशिक और बेटे आर्षभ (आर्यन) ने मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया।
सास-बहू के आंसू देख नम हो गईं आंखें : शहीद विनोद कौशिक के पार्थिव शव के साथ हेलीकॉप्टर से लौटी उनकी पत्नी जयश्री कौशिक जब ससुराल पहुंचीं तो अपनी सास बृहस्पति बाई के गले लग कर फफक-फफक कर रोने लगी। दोनों सास-बहू के आंख से बहते आंसू देख मौजूद सभी की आंखें नम हो गईं।
READ MORE : शहीद विनोद कौशिक का शव पहुंचते ही गांव वालों की आंखे हुई नम, अंतिम दर्शन उमड़ा जनसैलाब, देखें वीडियो
शहीद विनोद कौशिक पंचतत्व में विलीन : गृहग्राम सीपत में शहीद विनोद कौशिक की अंतिम यात्रा निकली। उनके अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। खेत में पूरे विधि-विधान के साथ शहीद के भाई विनेंद्र कौशिक और बेटे आर्षभ (आर्यन) ने मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया।
सास-बहू के आंसू देख नम हो गईं आंखें : शहीद विनोद कौशिक के पार्थिव शव के साथ हेलीकॉप्टर से लौटी उनकी पत्नी जयश्री कौशिक जब ससुराल पहुंचीं तो अपनी सास बृहस्पति बाई के गले लग कर फफक-फफक कर रोने लगी। दोनों सास-बहू के आंख से बहते आंसू देख मौजूद सभी की आंखें नम हो गईं।
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पिता बोले, नक्सली आपरेशन में खामियां : रोते-रोते पिता उमाशंकर ने कहा मैने जवान बेटा खोया है। इसका बहुत दुख है। सरकार की नक्सल ऑपरेशन में कुछ तो खामियां है, जिसकी वजह से मैने अपना बेटा खो दिया। मेरे तीन बच्चे में से एक बडी बेटी और छोटा बेटा है। विनोद मेरा बड़ा बेटा था।
2013 बैच के एसआई थे शहीद विनोद कौशिक : नक्सली हमले में शहीद हुए एसआई विनोद कौशिक 2013 बैच के एसआई थे। उन्होंने पहले ही प्रयास में एसआई की परीक्षा उत्तीण कर ली थी। विनोद कौशिक की पहली पोस्टिंग बलरामपुर और फिर दो साल से नारायणपुर में तैनात थे।
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नक्सलवाद के प्रति था काफी आक्रोश : शहीद विनोद कौशिक के दोस्त शशीकांत साहू ने बताया कि वे बहादुर थे। उन्हें नक्सलवाद से काफी चिढ़ थी। वह जब भी आते तो उसे नारायणपुर में चलने वाली सारी गतिविधियों के बारे में बताते थे। एक साल पहले मुठभेड़़ में तीन नक्सली मारे थे। छह माह पहले 6 नक्सली और अभी तीन दिन पहले ही उन्होंने 8 नक्सलियो को गिरफ्तार किया था।
छात्र-छात्राएं हाथ में फूल लेकर करते रहे शव का इंतजार : छात्र-छात्राएं हाथ में फूल लेकर शहीद के शव का इंतजार करते घंटों खड़े रहे। क्षेत्र के लोगों ने ग्राम के नवाडीह चौक पर शहीद की मूर्ति, उनकी स्मृति में एक प्रवेश द्वार, शासकीय बालक हाईस्कूल का नाम उनके नाम पर रखने की मांग की। पूरे सीपत क्षेत्र के व्यापारिक प्रतिष्ठान और शैक्षणिक संस्थान बंद रहे।