पीएचक्यू से जारी हुए आदेश में कहा गया है कि पब्जी गेम खेलने वाले खेलते समय भावुक हो रहे हैं। साथ ही मनोरोग का भी शिकार हो रहे हैं। खेल में बंदूक चलाते समय वे उन्हें यथार्य महसूस होने लगता है। देश में इस वीडियो गेम को खेलने वाले कई लोगों की हार्ट अटैक से मौतें हो चुकी है।
पीएचक्यू ने आदेश में कहा है कि वीडियो गेम्स से बच्चों को दूर रखना जरूरी है। इसके लिए स्कूलों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में पब्जी गेम नहीं खेलने की हिदायत शिक्षकों द्वारा दिए जाने और कार्यक्रमों के दौरान वीडियो गेम के दुष्प्रभाव बताने कहा गया है। साथ ही सामुदायिक पुलिसिंग व चलित थाना लगाकर लोगों को बच्चों और बड़ों को गेम नही खेलने देने की हिदायत दी गई है।
साइबर एडिक्शन हैं घातक
पब्जी वीडियों गेम ही नहीं बल्की हर वह वीडियो गेम जिसमें साइबर एडिक्शन होता है वह घातक होते हैं। लगातार वीडियो गेम खेलने से लोग इसके आदि होने के साथ-साथ खेल के प्रति भावुक भी हो जाते हैं। हिंसकता या उग्रता को खेल के जरिए लोगों को परोसने से जीवन में इसके दुष्प्रभाव सामने आते हैं। साइबर एडिक्शन और नशे की प्रवृत्ति एक जैसी है। दोनों के कारण लोगों को मानसिक और शारीरिक क्षति होती है। इंटरनेट का लगातार उपयोग करने और संपर्क में रहने के कारण भी दुष्प्रभाव मानसिकता को प्रभावित करता है। इसे बंद करने के आदेश देना सही है।
डॉ. एसके नायक, मनोरोग विशेषज्ञ, सिम्स