scriptसावधान : चूना पाउडर लगा कर बाजारों में करील के नाम पर बिक रहा जहर | Poison is being sold in markets in the name of Kareel | Patrika News

सावधान : चूना पाउडर लगा कर बाजारों में करील के नाम पर बिक रहा जहर

locationबिलासपुरPublished: Aug 06, 2020 06:57:04 pm

Submitted by:

CG Desk

– वन विभाग ने तीन दिन में जब्त की 360 किलो करील .

करील

करील

बिलासपुर। जंगल से करील लाकर व्यापारियों द्वारा उसे सफेद और चमकीला बनाने के लिए चूना पाउडर में डुबाया जाता है। इसके बाद करील को यहां महंगे दामों में बेचा जाता है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार चूना पाउडर में करील को डूबोने से वह नरम हो जाता है और तीन दिन की जगह 6 से 7 दिन तक रखकर बेचते हैं। लेकिन इसे सब्जी बनाकर खाने वालों को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार चूना लगे सफेद करील जहर का काम करता है इससे लोग फूड पायजनिंग कर शिकार भी होते हैं। वन विभाग द्वारा लगातार तीन दिन तक कार्रवाई कर 360 किलो करील जब्त की गई है। लेकिन वन विभाग के अधिकारी जहां से करील आ रहा है वहां कड़ाई नहीं कर रहे हैं।
डीएफओ उडनदस्ता टीम के प्रभारी राजकुमार पाण्डेय ने बताया कि बुधवार को वन विभाग की टीम ने 210 किलो करील पकड़ी है। हालांकि इसे बेचने वाले टीम को देखकर भाग निकले। बांस की पैदावार बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ में करील बेचने पर प्रतिबंध हैं। बावजूद इसके करील चोरी-छिपे बेची जाती है। बरामद करील की कीमत करीब 16,800 रुपए बताई जा रही है। जानकारी के मुताबिक, बिलासपुर वन मंडल को करील बेचने की सूचना मिली थी। इसके बाद उडऩदस्ते ने बुधवार को तिफरा मंडी रोड, बुधवारी बाजार, शनिचरी बाजार, बृहस्पति बाजार, मुंगेली नाका और सकरी में कार्रवाई की। इस दौरान करील बेचने वाले टीम को देखकर भाग निकले। वन विभाग ने मौके से 210 किलो हरे बांस की करील जब्त की है।
3 दिन में 360 किलो करीलजब्त
इससे पहले भी 1 अगस्त को वन विभाग की टीम ने छापा मारने की कार्रवाई की थी। नेहरू चौक से लेकर मुंगेली नाका तक हुई इस कार्रवाई के दौरान सड़क किनारे करील बेचने वाले टीम को देखकर भाग निकले। वन विभाग ने मौके से 110 किलो हरे बांस की करील जब्त की थी। 4 अगस्त को विभाग ने नेहरू चौक से सकरी के बीच कार्रवाई कर 40 किलो तो 5 अगस्त को 210 किलो बांस की करील जब्त की।
बारिश के बाद शुरू होता है नए बांस का दोहन
बांस के जंगलों का लगातार दोहन होते देख सरकार ने इसकी पैदावार बढ़ाने के लिए करील बेचने पर प्रतिबंध लगाया है। इसके बाद भी गर्मी में तस्कर इमारती लकड़ी और बारिश के बाद करील के लिए नए बांस काट लेते हैं। करील बेचने के चक्कर में बांस के जड़ को काट दिया जाता है जिससे पेड़ को नुकसान होता है।

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