बिलासपुर

प्रदेश के इस हरे-भरे क्षेत्र को क्यों नहीं मिल पा रहा जिले का दर्जा, पूर्व मुख्यमंत्री की भूमि फिर राजनीति क्यों लील गई इसका स्वाभिमान

जोगी के गढ़ को जिला बनाने में आड़े आ रही राजनीति, पहले भाजपा अब कांग्रेस, लगभग 110 किलोमीटर दूर पेंड्रा-गौरेला को जिला बनाने के नाम पर केवल राजनीति हो रही है।

बिलासपुरApr 12, 2019 / 06:07 pm

BRIJESH YADAV

प्रदेश के इस हरे-भरे क्षेत्र को क्यों नहीं मिल पा रहा जिले का दर्जा, पूर्व मुख्यमंत्री की भूमि फिर राजनीति क्यों लील गई इसका स्वाभिमान

बिलासपुर. जिला मुख्यालय से लगभग 110 किलोमीटर दूर पेंड्रा-गौरेला को जिला बनाने के नाम पर केवल राजनीति हो रही है। 15 साल से प्रदेश की सत्ता में काबिज भाजपा सरकार ने इसके लिए कोई पहल नहीं की और अब कांग्रेस भी यहां की उठ रही जनभावना को दरकिनार कर रही है। वजह सिर्फ इतनी है कि यह इलाका पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस से अलग होकर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस का गठन करने वाले अजीत जोगी के प्रभाव वाला क्षेत्र है जिसके चलते राजनीतिक दल सत्ता में आने के बाद भी इसे जिला बनाने से परहेज कर रहे हैं। जिस समय जांजगीर और कोरबा को बिलासपुर से अलग कर नया जिला बनाया गया उसी समय से गौरेला-पेंड्रा क्षेत्र को अलग जिला बनाने की मांग उठ रही है। भाजपा की सरकार ने 15 सालों में इसके लिए कोई पहल नहीं की। इन सालों में जब भी गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय पर्व का आयोजन हुआ तब-तब इसको लेकर सुगबुगाहट भी उठी कि अब इस बार गौरेला-पेंड्रा को अलग जिला घोषित किया जाएगा लेकिन यह अंदेशा सुगबुगाकर शांत हो गया। तत्कालीन भाजपा सरकार ने जांजगीर-चांपा और कोरबा जिले के गठन के बाद एक बार फिर बिलासपुर से 60 किलोमीटर दूर मुंगेली को जिला बनाने की घोषणा कर दी लेकिन बिलासपुर से 110 किलोमीटर दूर पेंड्रा-गौरेला से उठ रही स्वर को दबा दिया गया।
जोगी ने भूपेश के समक्ष भी लगाई थी गुहार
प्रदेश में कांग्रेस की जीत हुई और कांग्रेस ने भूपेश बघेल को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। मुख्यमंत्री बनने के बाद जब भूपेश बघेल पहली बार बिलासपुर पहुंचे तब पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने अपने विधायक पुत्र और पत्नी के साथ उनसे छत्तीसगढ़ भवन में भेंटकर गौरेला-पेंड्रा को जिला बनाने की मांग की थी।
जिला संघर्ष समिति कर रही संघर्ष
तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा जांजगीर -कोरबा जिले को बिलासपुर से अलग कर नया जिला बनाने की घोषणा के बाद से गौरेला-पेंड्रा संघर्ष समिति लगातार आंदोलन और जनजागरण कर सरकारों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि राजनीति विद्वेष के चलते पहले भाजपा और फिर कांग्रेस सरकार यहां से उठ रही जिला बनाने की मांग की अनदेखी कर रही है। मुंगेली जो बिलासपुर से महज 60 किलोमीटर दूर है उसे जिला बना दिया गया लेकिन गौरेला -पेंड्रा को आज तक जिला घोषित नहीं किया गया। क्षेत्र की जनता को छोटे-मोटे काम के लिए संभागीय जिला मुख्यालय बिलासपुर तक दौड़ लगानी पड़ रही है।
बिलासपुर लोकसभा के दस बड़े मुद्दे
1बिलासपुर शुरू नहीं हो रही हवाई सेवा, कई बार की जा चुकी है घोषणा।
2किसानों को धान के बोनस व प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का नहीं मिल रहा लाभ।
3 उसलापुर रेलवे स्टेशन को बनाया जा रहा टर्मिनल लेकिन अपग्रेड करने के लिए काम नहीं पकड़ रहा तेजी।
4रेलवे का मेडिकल कालेज खोलने की घोषणा पर आज तक नहीं हुआ अमल, देश में सबसे अधिक कमाई वाला जोन है बिलासपुर रेलवे जोन।
5बिलासपुर में केन्द्र व राज्य सरकार की चिकित्सा संबंधी योजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति बदहाल, आयुष्मान योजना से निजी चिकित्सकों ने खींचा हाथ
6सिम्स के सुपर स्पेशलियटी हास्पिटल की नहीं रखी गयी नींव, बजट पहले से है मंजूर।
7पेंड्रा-गौरेला को जिला बनाने के मामले में आड़े आ रही राजनीति, पहले भाजपा और अब कांग्रेस पीछे हट रही।
8मुंगेली में नहीं हैं उच्च शिक्षा की बेहतर व्यवस्था, बड़े शास. कालेज की दरकार।
9 मुंगेली जिले के पुन्नू लाल मोहले चार बार रहे सांसद लेकिन एक सेंट्रल स्कूल तक नहीं।
10कृषि उपज बढ़ाने के लिए चल रही सरकारी योजनाओं का नहीं मिल किसानों को लाभ, अरपा भैंसाझार सहित कई सिंचाई योजनाएं अब तक नहीं हो सकी पूरी, हजारों एकड़ खेतों को नहीं मिल पाता है सिंचाई का पानी।

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