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समस्या: पावर प्लांट की राख से फैल रहा प्रदूषण, नदियां खत्म होने के कगार पर

locationबिलासपुरPublished: Jun 29, 2020 05:57:50 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

बाल्को व एनटीपीसी के राखड़ बांध भर गए हैं। अतिरिक्त राख को हसदेव नदी व उसकी सहायक नदियों में बहाया जा रहा हैं । इससे जीवनदायिनी नदियां प्रदूषित हो रही हैं, और इनके अस्तित्व पर खतरा है।

बिलासपुर. कोरबा के बालको, एनटीपीसी पावर प्लांट से निकलने वाले राखड़ को हसदेव व उसकी सहायक नदियों में बहाए जाने के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन, बालको, एनटीपीसी, राज्य पर्यावरण मंडल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

समाजसेवी दिलेन्द्र यादव ने वकील सतीश गुप्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि सीपत, कोरबा, बाल्को में स्थित पावर प्लांटों से प्रतिदिन लाखों टन राखड़ निकलती है । इस अपशिष्ट को डैम बनाकर एक जगह रख कर विभिन्न निर्माण क्षेत्र में उपयोग किया जाना है । बाल्को व एनटीपीसी के राखड़ बांध भर गए हैं। अतिरिक्त राख को हसदेव नदी व उसकी सहायक नदियों में बहाया जा रहा हैं । इससे जीवनदायिनी नदियां प्रदूषित हो रही हैं, और इनके अस्तित्व पर खतरा है।

शुक्रवार को चीफ जस्टिस की डीबी में मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने एनटीपीसी, बालको, राज्य शासन, पर्यावरण मंडल सहित अन्य को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है।

यह हैं हालात

कोरबा क्षेत्र में पावर प्लांटों की राख एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। कोरबा जिले में एनटीपीसी, सीएसईबी और बालको के अलावा कई निजी कंपनियों के संयंत्र हैं। सभी इकाइयां कोयले पर आधारित हैं। बिजली उत्पादन के लिए प्रतिदिन औसत 70 हजार टन से अधिक कोयले की जरूरत पड़ती है। इसके दहन से हर साल डेढ़ करोड़ मीट्रिक टन राख से अधिक निकलती है। समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में बिजली घरों से एक करोड़ 64 लाख 92 हजार 321 मीट्रिक टन राख निकली है जिसे राखड़ बांध में रखा गया है। हल्की हवा चलने पर भी राख उड़कर आसपास के इलाकों में गिर रही है। राख को नदियों में बहाने से वे भी प्रदूषित हो रहीं हैं।

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