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स्वयं के मूल्यांकन का सशक्त माध्यम है मीडियेशन रिफ्रेशर प्रोग्राम-जस्टिस दिवाकर

locationबिलासपुरPublished: Jul 06, 2018 12:22:42 pm

Submitted by:

Amil Shrivas

विगत सालों में प्रशिक्षित न्यायिक अधिकारियों एवं अधिवक्ता मध्यस्थों के लिए यह रिफ्रेशर कार्यक्रम आयोजित हो रहा है।

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स्वयं के मूल्यांकन का सशक्त माध्यम है मीडियेशन रिफ्रेशर प्रोग्राम-जस्टिस दिवाकर

बिलासपुर. अपने आप को मूल्यांकन करने का सशक्त माध्यम मिडियेशन रिफ्रेशर प्रोग्राम है। इससे अधिवक्ताओं की रोजी-रोटी पर किसी प्रकार का फर्क नहीं पडेग़ा। उक्त बातें छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष व हाईकोर्ट के जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने मुख्य अतिथि की आसंदी से कहीं। छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं कमेटी फॉर मॉनिटरिंग द मिडियेशन सेंटर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के संयुक्त तत्वावधान में मिडियेशन एण्ड काउंसिलेशन प्रोजेक्ट कमेटी नई दिल्ली के निर्देशानुसार गुरूवार से शनिवार तक राज्य के न्यायिक अधिकारियों एवं अधिवक्ताओं के लिए प्रशिक्षण का शुभारंभ किया गया। यह 20 घंटे का मिडियेशन रिफ्रेशर प्रोग्राम है। न्याममूर्ति दिवाकर ने कहा कि पिछले सप्ताह 40 घंटे का मिडियेशन ट्रेनिंग कार्यक्रम न्यायिक अधिकारियों के लिए आयोजित किया गया। विगत सालों में प्रशिक्षित न्यायिक अधिकारियों एवं अधिवक्ता मध्यस्थों के लिए यह रिफ्रेशर कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण से प्रशिक्षणार्थियों को अपने ज्ञानच्छु खोलने एवं उन्हें अपने आप को मूल्यांकन करने का अवसर प्राप्त होता है। प्रशिक्षण से प्राप्त नवीन जानकारी को मध्यस्थता की कार्यवाही में अमल में लाकर पक्षकारों के बीच उनके विवादों का निराकरण करेंगे। तभी प्रशिक्षण कार्यक्रम की सार्थकता सिद्ध होगी। प्रशिक्षणार्थी जो सीख रहे हैं उसे रिटेन करें। बहुत से अच्छे निर्णय मिडियेशन पर आए हैं। उन निर्णयों को ध्यान से पढ़ेंगे। जिससे नए तरीके से मुकदमें निर्धारित किए जा सकते हैं। मिडियेशन से मामले निराकृत करने पर वकीलों के रोजी- रोटी में फर्क आएगा यह गलत धारणा है।
पक्षकारों का मिडियेशन पर विश्वास बढ़ाना है तथा उन्हेें यह बताने की जरूरत है कि मिडियेशन करने से उन्हें त्वरित न्याय मिलेगा। न्यायाधीश ने प्रशिक्षणार्थी वकीलों से कहा कि मिडियेशन प्रशिक्षण उपरांत आप अपने प्रोफेशनल को सार्थक करेंगे जिससे लोगों को न्याय मिलेगा। जस्टिस दिवाकर ने हॉस्पिटल का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार हॉस्पिटल में ओपीडी एवं सर्जरी दोनों होनी चाहिए, तभी मरीज को सभी इलाज मिलेगा। उसी प्रकार मिडियेशन में भी कौन सा प्रकरण मध्यस्थता से निराकृत हो सकता है, यह देखना जरूरी है। इस तरह मिडियेशन सेंटर की भूमिका हॉस्पिटल की ओपीडी की तरह है जिसे यह देखना है कि कौन सा प्रकरण मिडियेशन के माध्यम से निराकरण योग्य है तथा कौन सा मामला न्यायालयीन निर्णय के माध्यम से निराकरण योग्य है। उन्होंने अपेक्षा की कि इस 20 घंटे के प्रशिक्षण का लाभ न्यायाधीश, अधिवक्ता एवं पक्षकारों को अवश्य प्राप्त होगा।
स्वयं को अपगे्रड करना जरूरी – कोशी : कमेटी फॉर मॉनिटरिंग द मिडियेशन सेंटर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पी सैम कोशी ने कहा कि रिफ्रेशर कोर्स इज ओनली फॉर रिफ्रेश नॉलेज, हमें रिफ्रेशर कोर्स के माध्यम अपने आप को अद्यतन करना है। आप लोगों ने 40 घंटे की मध्यस्थता प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत पिछले सालों में मध्यस्थ के रुप मध्यस्थता की कार्यवाही की है। इस रिफ्रेशर सत्र में हम अपने पिछले अनुभवों को आपस में बांटते हुए अपने आप को अपग्रेड करना है। ताकि हम आगे से अधिक प्रकरणों को मध्यस्थता के माध्यम से निराकृत करते हुए न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के भार को कम कर सकने के साथ ही शीघ्र न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया में सहयोग कर सकते है।

कठिनाइयां, उपलब्धियां सामने आएंगी -सामंत : कमेटी फॉर मॉनिटरिंग द मिडियेशन सेंटर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के सदस्य न्यायमूर्ति आरसीएस सामंत ने कहा कि पूर्व में 40 घंटे की मिडियेशन प्रशिक्षण के पश्चात् मध्यस्थता कार्यवाही में क्या कठिनाईयां हैं, क्या विशेष उपलब्धियां रहीं, इस संबंध में चर्चा कर प्रशिक्षकों के अनुभव एवं सुझाव को ग्रहण कर मध्यस्थता के क्षेत्र में हमें अपने आप को बेहतर मध्यस्थ के रूप में स्थापित करना है। ताकि इसका अधिक से अधिक लाभ पक्षकारों को मिल सके। कमेटी फॉर मॉनिटरिंग द मिडियेशन सेंटर के सचिव व रजिस्ट्रार विजिलेंस दीपक कुमार तिवारी ने स्वागत भाषण दिया। उद्घाटन समारोह के अंत में आभार प्रदर्शन छग राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव विवेक कुमार तिवारी ने किया। कार्यक्रम का संचालन अवर सचिव श्वेता श्रीवास्तव ने किया।
ये दे रहे प्रशिक्षण : प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षण देते हेतु ऑब्जर्वर के रूप में वीपी जोहरी, दिल्ली से पोटेशिंयल ट्रेनर के रूप में एलके गिरी, तरीत बरनकर, राजेश दास झारखंड से आए हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम तीन दिनों तक चलेगा। जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों से 12 न्यायिक अधिकारी एवं 13 अधिवक्ता शामिल हुए हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में विशिष्ट रूप से न्यायमूर्ति रजनी दुबे, न्यायमूर्ति विमला सिंह कपूर उपस्थित रही। इसके अलावा जिला न्यायाधीश एनडी तिगाला, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्री के अधिकारी, वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. निर्मल शुक्ला, अभिषेक सिन्हा समेत प्रशिक्षण हेतु चयनित 30 न्यायिक अधिकारी, अधिवक्ता, विधि के छात्र आदि उपस्थित रहें।
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