यही वजह से ज्यादातर अस्पतालों ने योजना के तहत उपचार करना बंद कर दिया है। शहर के 20 चयनित अस्पताल आयुष्मान से उपचार कराने के लिए पहुंच रहे मरीज को लौटा रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि आयुष्मान से उपचार फिलहाल के लिए बंद है। नगद में ही उपचार की सुविधा मिलेगी। ऐसे में रोजाना सैकड़ों हितग्राहियों को एक से दूसरे अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। आधे मरीज उपचार से वंचित हो जा रहे हैं। इसके पीछे निजी अस्पताल के संचालकों का कहना है पहले रेलिगेयर कंपनी क्लेम देने का काम करती थी।
कंपनी ने बेवजह करोड़ों के क्लेम को रोक दिया। इसकी वजह से आयुष्मान से उपचार करने में दिक्कत आ रही थी। वहीं अब ट्रस्ट के माध्यम से बीमा क्लेम की राशि दी जानी है। लेकिन इसकी प्रक्रिया क्या है, क्लेम कितने दिनों में मिलेगा, इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है। ऐसे में उपचार करने के बाद क्लेम राशि मिलने को लेकर संशय है। -0 सरकारी अस्पतालों में बढ़ रही भीड़ निजी अस्पतालों में आयुष्मान से इलाज बंद होने का असर सिम्स जिला अस्पाताल पर दिखने लगा है। यहां पर योजना के तहत उपचार कराने रोजाना सैकड़ों मरीज पहुंच रहे हैं।
ऐसे में सभी मरीज की प्रक्रिया पूरी कर उपचार शुरू करने में दिक्कत आ रही है। इस कारण मरीजों का उपचार प्रभावित हो रहा है। -0 पटरी पर नहीं आ पा रही योजना निजी अस्पताल बार-बार आयुष्मान से उपचार नहीं करने की बात कहते रहते हैं। बीते दो साल के भीतर में निजी अस्पताल आधा दर्जन बार अचानक उपचार बंद चुके हैं।
इसका व्यापक असर भी पड़ा है। क्लेम राशि को लेकर पहले से विवाद चल रहा है। इसकी वजह से आयुष्मान योजना पटरी पर नहीं आ पा रहा है। जानकारी लगी है कि कुछ निजी अस्पताल उपचार से मना कर रहे हैं। जांच करने के बाद ही वजह पता चल पाएगी।
डॉ. केके जायसवाल, नोडल अधिकारी, नर्सिंग होम एक्ट