रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने याचिका में कहा है कि वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने अपने अध्ययन में कहा है कि चींटी दीमक खाने की विशेष आदत और अपने रहन सहन के कारण ये बंधक जीवन नहीं जी पाते। यह जानकारी होने के बावजूद वन विभाग और जंगल सफारी प्रबंधन ने अनुसूची-1 के तहत संरक्षित और आईसीयूएन. की रेड बुक में संकटग्रस्त घोषित भारतीय पैंगोलिन को बंधक बना रखा है और चींटी, दीमक जुगाड़ कर के इसे खिला रहे हैं।
जू अथॉरिटी की अनुशंसा भी नहीं मान रहे छत्तीसगढ़ के अधिकारी सिंघवी ने बताया कि केंद्रीय जू अथॉरिटी ने वर्ष 2021 में पैंगोलिन के पुनर्वास के लिए मार्गदर्शिका जारी कर रखी है, जिसके तहत जप्त पैंगोलिन को उसी जंगल के घने इलाके में थोड़ा जाना है जहां से उसे पकड़ा गया है, जहां रोड रेल और मानव बस्ती ना हो। उन्होंने 6 मई को प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को पत्र लिखकर बंधक पैंगोलिन को छोड़ने की मांग की।यह भी बताया कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत किसी भी अनुसूचि-एक के वन्य जीव को बिना उनके आदेश के बंधक नहीं बनाया जा सकता है। खुद उनके कार्यालय ने बताया है कि पैंगोलिन को बंधक बनाने का आदेश उन्होंने जारी नहीं किया है, इसके बावजूद प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं और ना ही बंधक पेंगोलिन को छोड़ रहे हैं।
दुर्लभ प्रजाति का प्राणी है पैंगोलिन पैंगोलिन जप्त करने के बाद, वन परिक्षेत्र अधिकारी करपावंद, जिला बस्तर ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जगदलपुर को आवेदन देकर कहा कि पैंगोलिन दुर्लभ प्रजाति का वन्य प्राणी है, इसे जंगल में छोड़ने पर ग्रामीणों के द्वारा हानि पहुंचाई जा सकती है। सुरक्षा की दृष्टि से शासन द्वारा वर्तमान में निर्मित जंगल सफारी नया रायपुर में रखना उचित होगा। अगर ऐसा ही चलता रहेगा तो वे वन्यजीव जो तस्करी के दौरान जप्त किये गए वे सब जंगल सफारी में पाए जायेंगे। उन्होंने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) को प्रेषित पत्र में बताया गया कि वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा की गई कार्यवाही पूर्णता विधि विरुद्ध तथा वन्य प्राणियों के विरुद्ध है। परन्तु कार्रवाई नहीं की गई।