वैसे ही माता-पिता के आशीर्वाद व उनकी छत्र-छाया के बिना व्यक्ति ज्यादा दिन नहीं रह सकता। यह बातें प्रसिद्ध संत व कथावाचक आचार्य चिन्मयानंद बापू ने दयालबंद में आयोजित श्रीराम कथा के दौरान श्रद्धालुओं से कही। भगवान परशुराम समिति व हिन्दू मंच की ओर से श्रीराम कथा महोत्सव का आयोजन दयालबंद में किया गया है। कथा में प्रसिद्ध संत चिंन्मयानंद बापू ने कहा कि जब प्यास लगती है तो पानी कितना भी दूर हो व्यक्ति प्यास बुझाने के लिए पहुंच ही जाता है।
एेसे ही जिन्हें राम कथा से प्रेम हो कथा सुनने पहुंच ही जाते है। प्रभु राम संपूर्ण मानव जाति के लिए आदर्श है उनका चरित्र हम सभी अपने जीवन में उतारे। राम जैसा चरित्र न धरती पर हुआ है और न होगा। आचार्य ने कहा कि व्यक्ति को माता-पिता और गुरु की आज्ञा का पालन करना चाहिए। उन्होंने भगवान शिव व पार्वती के विवाह के प्रसंग को विस्तार से बताया। आगे कहा कि हम अपने परिवार को भी एेसा बनाए कि एक आदर्श हो। भगवान शिव का परिवार आज पूरे विश्व के लिए आदर्श है। भगवान शिव का ही परिवार है जिसमें प्रत्येक पूजनीय है। शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नागपंचमी के दिन पूजा होती है। इसी तरह से हमारा भी परिवार हो और सभी साथ रहे और सामंजस्य सदैव बना रहे।
राम से प्रेम बढ़ाना है तो पहले शिव से प्रेम करो कथा में बापू ने एक वृत्तांत सुनाते हुए कहा कि एक बार भारद्वाज ऋषि ने याज्ञवल्क्य ऋषि से राम कथा के बारे में प्रश्न पूछा। याज्ञवल्क्य ऋषि ने श्री राम कथा को शिवचरित्र की ओर मोड़ते हुए शिव चरित्र सुनाने लगे। इसका मतलब यह है कि प्रभु राम के चरणों में प्रेम बढ़ाना है तो पहले भगवान शिव से प्रेम करो।