बिलासपुर

19 साल में 1785 बलात्कार, इसमें 217 बच्चियां भी शामिल

Rape crisis: जिले में हर साल बढ़ रहे बलात्कार के मामले

बिलासपुरDec 07, 2019 / 12:28 pm

Murari Soni

19 साल में 1785 बलात्कार, इसमें 217 बच्चियां भी शामिल

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के बाद से प्रदेश में 1785 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं। इनमें 217 मामले ऐसे हैं जिनमें पीडि़ता 18 वर्ष के कम आयु की है। बलात्कार की घटनाएं साल दर साल बढ़ती जा रही है। इनमें से 60 फीसदी मामलों में शिकायत करने वाली पीडि़ताओं ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया है। 20 फीसदी मामले कोर्ट में लंबित हैं। शेष मामलों में आरोपियों को कोर्ट ने दोषी मानकर आजीवन कारावास की सजा सुना दी ह।
जिले में महिलाए और किशोरियां सुरक्षित नहीं है। सन 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना वाले वर्ष में बलात्कार के 54 मामले दर्ज हुए थे। घटनाएं लगातार बढती गईं और सन 2019 के 11वें माह तक बलात्कार के 114 मामले दर्ज हो चुके हैं। यानी हर साल महिलाओं की सुरक्षा में चूक हो रही है। इसी प्रकार जिले में राज्य की स्थापना के बाद से कुल 33 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से 45 फीसदी मामलों में आरोपियों को कोर्ट से सजा भी मिल चुकी है।

60 फीसदी मामलों में पीडि़ताओं ने आरोपियों की पहचानने से किया इनकार
जिले में पिछले 19 वर्षों में दर्ज हुए 1785 मामलों में से 60 फीसदी मामले ऐसे हैं जिनमें शिकायत दर्ज कराने वाली पीडि़ताओं ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया है। इन मामलों में आरोपी संदेह का लाभ मिलने पर कोर्ट से बरी हो गए हैं।

सन 2017 में बलात्कार के मामलों में प्रदेश 5 वें स्थान पर

एनसीआरबी ( नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ) के आंकड़ों के अनुसार सन 2017 में बलात्कार की घटनाओं के टॉप टेन देशों में छत्तीसगढ़ पांचवे स्थान पर है।पहले स्थापन पर आंध्र प्रदेश, दूसरे स्थापन पर अरुणाचल प्रदेश, तीसरे में असम और चौथे नंबर पर बिहार राज्य हैं। प्रदेश में सन 2017 में 1 से 18 वर्ष से कम आयु की किशोरियों से 1134 बलात्कार की वारदातें हुई।वहीं 792 महिलाओं से दुष्कर्म की घटनाएं हुई हैं।

मुंगेली में दर्ज हुए 462 मामले

बिलासपुर से लगे जिला मुंगेली में पिछले 19 वर्षों में बलात्कार के 462 मामले दर्ज हुए। इनमें से 48 आरोपी दोषमुक्त हुए हैं। 22 प्रकरण पुलिस के पास पेंडिंग हैं। वहीं कोर्ट में करीब साढ़े 3 सौ मामलें लंबित हैं।
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