नवरात्र प्रारंभ होने के साथ साथ शहर में रावण दहन की तैयारी शुरु कर दिया जाता था। नवरात्र के बाद यह दूसरा बड़़ा आयोजन हुआ करता था। शहर कार्यक्रम में अतिथि बनने के लिए नेताओं के बीच भी प्रतिस्पर्धा हुआ करता था हर साल यह देखा जाता था कि कौन से पार्टी के और कौन नेता सबसे ज्यादा रावण दहन करता है। अतिथि बनाने के लिए दशहरा उत्सव समिति संचालक भी जमकर उठापटक किया करते थे।
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समितियों के बीच भी रावण के कद को लेकर प्रतिस्पर्धा रहता था लेकिन इस बार सारे रावण की उंचाई तय कर दी गई है। 60 से 65 फीट के रावण की जगह 10 फीट का रावण बनाने का आदेश दिया गया है। कार्यक्रम में अतिथि तो शामिल हो सकते हैं लेकिन रावण दहन के लिए भीड़ नहीं किया जाएगा। इससे समिति और रावण दहन करने वाले नेता दोनों को नुकसान है। जिसके कारण समिति और रावण का पुलता जलाने नेता भी रुचि नहीं ले रहे हैं।
शहर का सबसे बड़ा कार्यक्रम पुलिस मैदान में नगर निगम द्वारा आयोजित किया जाता था। यहां 60 फीट का रावण का पुतला बनाया जाता था जिसे देखने के लिए शहर के अलावा शहर से लगे ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी आते थे इस कार्यक्रम सभी उच्चाधिकारी हर परिवार के साथ शामिल हुआ करते थे।
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इसके बाद रेलवे क्षेत्र में 65 फीट का रावण बनाया जाता था पुराना बस स्टैण्ड का कार्यक्रम हर साल चर्चा में रहता है। लाल बहादुर शास्त्री स्कूल, सरकण्डा के अलावा एसईसीएल और नूतन चौक,मुंगेली नाका और विद्या नगर में हर साल आदमकद रावण का पुतला बनाया जाता था लेकिन इस बार प्रतियोगिता फीकी नजर आ रही है।
महापौर रामशरण यादव ने कहा, रावण दहन कार्यक्रम होगा या नहीे अभी तय नहीे किया गया है। इस मामले पर दो तीन दिन बात ही पता चल पाएगा। रेलवे पूर्व पार्षद व्ही रामाराव ने कहा, कोरोना को लेकर इतने कड़े नियम बना दिया गया है कि रेलवे क्षेत्र मे हर साल होने वाले रामलीला का आयोजन नहीं किया जा रहा है। यह कार्यक्रम हिन्दुुस्तान सेवा समिति द्वारा आयोजित किया जाता था।
नगर निगम के आयुक्त प्रभाकर पाण्डेय ने कहा, पुलिस मैदान में रावण दहन को लेकर कुछ भी फायनल नहीं हुआ है। इस मामले पर सभी से चर्चा कर आगे काम किया जाएगा।