नियम न होने के बाद भी कर दिया था परीक्षा के अपात्र परीक्षा के अपात्र किए जाने का जो कारण उक्त सूची में दिया गया था वह केंद्र सरकार द्वारा जारी सिक्स मंथ ट्रेनिंग नियम 2014 में वर्णित ही नहीं है। इसलिए याचिकाकर्ता का अपात्र घोषित किया जाना नियमविरुद्ध है। याचिकाकर्ता ने इस संबंध में पत्राचार किया परंतु कोई मदद नहीं मिलने के कारण याचिकाकर्ता को 23 मई को होने वाली परीक्षा में शामिल होने के लिए अधिवक्ता सुमित नंवर, विनीत पांडे के माध्यम से याचिका प्रस्तुत करनी पड़ी। याचिकाकर्ता के अनुरोध को मामले की गंभीरता देख कर स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने प्रकरण की सुनवाई की। कोर्ट ने प्रतिवादी राज्य शासन एवं संचालक चिकित्सा शिक्षा को नोटिस जारी करते हुए अंतरिम राहत के रूप में याचिकाकर्ता को 23 मई को होने वाली पात्रता परीक्षा में शामिल करने हेतु आदेशित किया है। राज्य शासन की ओर से उपमहाधिवक्ता जितेंद्र पाली ने पैरवी की। याचिकाकर्ता का परीक्षा परिणाम याचिका पर निर्देश के अनुसार जारी होगा। प्रकरण की अगली सुनवाई 20 जून को होगी।