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परीक्षा से वंचित छात्र को हाईकोर्ट से राहत, स्पेशल बेंच बनाकर दिया परीक्षा में शामिल करने का आदेश

locationबिलासपुरPublished: May 21, 2022 10:24:29 pm

Submitted by:

AVINASH KUMAR JHA

हाईकोर्ट ने एक मामले में स्पेशल बेंच बनाकर छात्र को राहत दी है। इससे छात्र परीक्षा से वंचित होने से बच गया। शनिवार को दोपहर स्पेशल बेंच ने सुनवाई की।

परीक्षा से वंचित छात्र को हाईकोर्ट से राहत, स्पेशल बेंच बनाकर दिया परीक्षा में शामिल करने का आदेश

परीक्षा से वंचित छात्र को हाईकोर्ट से राहत, स्पेशल बेंच बनाकर दिया परीक्षा में शामिल करने का आदेश

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने एक मामले में स्पेशल बेंच बनाकर छात्र को राहत दी है। इससे छात्र परीक्षा से वंचित होने से बच गया। शनिवार को दोपहर स्पेशल बेंच ने सुनवाई की।

रायपुर निवासी डाक्टर नितिन टहलियानी को संचालक चिकित्सा शिक्षा ने नियमविरुद्ध तरीके से परीक्षा में बैठने से वंचित कर दिया। 23 मई को होने वाली परीक्षा याचिकाकर्ता के लिए अंतिम अवसर होने के कारण उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने वकील के माध्यम से अर्जेंट सुनवाई का निवेदन किया। अवकाश होने पर भी चीफ जस्टिस के निर्देश पर जस्टिस पीपी.साहू की स्पेशल बेंच गठित की गई। स्पेशल बेंच ने सुनवाई कर याचिकाकर्ता को परीक्षा में शामिल करने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता डाक्टर नितिन ने वर्ष 2014 में सिम्स बिलासपुर से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की और छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल में पंजीकृत हुआ। उसने पंजीकृत अस्पताल से अल्ट्रासाउंड एवं रेडियोलाजी का प्रशिक्षण लिया था। 9 मई 2022 को संचालक चिकित्सा शिक्षा ने राज्य के समस्त अस्पतालों में रेडियोलाजी आदि का काम करने हेतु पात्रता परीक्षा के लिए विज्ञापन जारी किया। जिसकी केवल परीक्षा फीस ही दस हजार रुपये एकमुश्त रखी। याचिकाकर्ता ने उक्त परीक्षा के लिए आवेदन किया और निर्धारित शुल्क भी जमा किया। संचालक चिकित्सा सेवा की ओर से जारी सूची में उसको परीक्षा के अपात्र घोषित कर दिया गया। याचिकाकर्ता को अपात्र किए जाने का कारण जिला चिकित्सा अधिकारी द्वारा उसका नाम नहीं भेजा जाना और छत्तीसगढ़ में पंजीकृत नहीं होना बताया गया।
नियम न होने के बाद भी कर दिया था परीक्षा के अपात्र

परीक्षा के अपात्र किए जाने का जो कारण उक्त सूची में दिया गया था वह केंद्र सरकार द्वारा जारी सिक्स मंथ ट्रेनिंग नियम 2014 में वर्णित ही नहीं है। इसलिए याचिकाकर्ता का अपात्र घोषित किया जाना नियमविरुद्ध है। याचिकाकर्ता ने इस संबंध में पत्राचार किया परंतु कोई मदद नहीं मिलने के कारण याचिकाकर्ता को 23 मई को होने वाली परीक्षा में शामिल होने के लिए अधिवक्ता सुमित नंवर, विनीत पांडे के माध्यम से याचिका प्रस्तुत करनी पड़ी। याचिकाकर्ता के अनुरोध को मामले की गंभीरता देख कर स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने प्रकरण की सुनवाई की। कोर्ट ने प्रतिवादी राज्य शासन एवं संचालक चिकित्सा शिक्षा को नोटिस जारी करते हुए अंतरिम राहत के रूप में याचिकाकर्ता को 23 मई को होने वाली पात्रता परीक्षा में शामिल करने हेतु आदेशित किया है। राज्य शासन की ओर से उपमहाधिवक्ता जितेंद्र पाली ने पैरवी की। याचिकाकर्ता का परीक्षा परिणाम याचिका पर निर्देश के अनुसार जारी होगा। प्रकरण की अगली सुनवाई 20 जून को होगी।
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