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बच्चियों की शिकायत पर जूं तक नहीं रेंगा, कोई झांकने भी नहीं पहुंचा प्रयास

locationबिलासपुरPublished: Sep 26, 2019 12:46:55 pm

Submitted by:

RAJEEV DWIVEDI

मनमानी: जांच कमेटी को 24 घंटे बाद मिला आदेश, ऑर्डर कॉपी मीडिया से नहीं की शेयर

बच्चियों की शिकायत पर जूं तक नहीं रेंगा, कोई झांकने भी नहीं पहुंचा प्रयास

बच्चियों की शिकायत पर जूं तक नहीं रेंगा, कोई झांकने भी नहीं पहुंचा प्रयास

बिलासपुर . प्रयास आवासीय विद्यालय कोनी से सैकड़ों छात्राएं नौ किमी पैदल चलकर पहुंची, अपनी आपबीती बताई इसके 48 घंटे बाद भी इस घटना की जानकारी रायपुर में बैठे आला नौकरशाहों को नहीं है। वहीं जिस कलेक्टर के पास इन बच्चिों ने अपनी पीड़ा सुनाई वो कलेक्टर ये कह रहे हैं कि बच्चियां यहां शिकायत लेकर नहीं आई थी। हैरान करने वाली बात है कि हास्टल में चौकीदार को बांध कर, बाहर गेट में ताला लगाकर नौ किमी दूर पैदल चलकर ये बच्चियां जिला प्रशासन को इस बात का सुझाव देने आई थी कि विद्यालय का संचालन कैसे किया जाए! 48 घंटे बीत गए इसके बाद भी जांच शुरू नहीं हुई। कह रहे हैं कि जांच आदेश हो गए हैं क्या आदेश हुआ है ये संबंधित अधिकारी को याद नहीं है, आदेश दिखाने से भी परहेज है। सहायक आयुक्त सीएल जायसवाल ने प्राचार्या जया को स्कूल जाने से मना कर दिया है। प्राचार्या मंगलवार, बुधवार को मोबाइल से स्कूल की गतिविधियों की जानकारी कर्मचारियों से लेतीं रहीं। अफसर की पत्नी को बचाने का खेल प्रयास आवासीय विद्यालय की प्राचार्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन अभियंता संजय सिंह की पत्नी है। अफसर की पत्नी को बचाने के लिए जांच के बहाने बचाने का कोशिश शुरू हो गई। प्रशासनिक अधिकारियों का जिस तरीके से रवैया अख्तियार किया गया है। उससे ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। ये हैं टालू कलेक्टर पूछो तो रटंत जवाब कलेक्टर संजय अलंग से मिली छात्राएं मायूस हैं, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कुछ एक्शन होगा। लेकिन यहां अलंग हर बार की तरह इस बार भी मामले को अपने मातहत पर टालते नजर आए। उनके जवाब सुनिये… प्रश्र-शिकायत का क्या हुआ? जवाब-एडीएम से बात कीजिए। प्रश्र- बच्चियां तो आप से मिली थीं? जवाब- एडीएम से बात कीजिए। प्रश्र- शिकायत के 48 घंटे बाद भी एक्शन नहीं हुआ? जवाब- एडीएम से बात कीजिए। एडीएम बीएस उइके को 5 बार संपर्क किया, मैसेज भी किया, कोई?जवाब नहीं। जो मैंने देखा, वह जैसा का तैसा… जि स स्कूल से छात्राएं वहां की दुर्दशा को लेकर कलेक्टर के पास पहुंची, पत्रिका टीम भी वहां बुधवार को पहुंची। हमारी कोशिश यह है कि वास्तविकता सामने आनी चाहिए। हमने जिले के आदिवासी आयुक्त सीएल जायसवाल से इस संबंध में बात की। उन्होंने बताया, वहां सब ठीक है। सभी मीडिया वहां जा रहा है। इस वाक्य से यह साफ हो गया कि आयुक्त को बच्चियों के प्रति कोई बहुत सहानुभूति नहीं है। हमारी टीम ऊबड़-खाबड़ रास्ते से होकर प्रयास पहुंची। पहुंचकर सारी औपचारिकताएं करने के बाद हम अंदर दाखिल हुए। वहां इसी बीच अधीक्षिका रोशनी पाल भी आ गईं। उन्होंने बताया कि आयुक्त साहब के निर्देश हैं कि बच्चियों से किसी को न मिलने दिया जाए न बात करने दी जाए। हम चैनल बंद करने वाले ही थे। यह सुनकर हमें अचरज हुआ। आखिर वहां ऐसा क्या है जिसे छुपाने की कोशिश की जा रही है। अधीक्षिका ने हमें हॉस्टल, क्लास दूर से दिखाईं। एक महिला होने के नाते मुझे विश्वास था कि प्रशासन जरूर इसमें आज कोई कार्रवाई करेगा, लेकिन वहां ऐसा नहीं दिखाई दिया। हमने कुछ बच्चियों से बात करने के लिए आवाज लगाई तो वे सामने नहीं आई और डरकर भाग गई। दबी जुबान से हमे लोगों ने बताया कि यहां राजनीति बहुत हो रही है। व्यवस्था पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं। नजदीक बालक छात्रावास भी है। हमें कुछ प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि बालक छात्रावास के कुछ बच्चे बच्चियों को परेशान कर रहे हैं और बच्चियों में भी कुछ बच्चियां उन्हें साथ देती हैं। लेकिन जब हम हॉस्टल पहुंचे तो हमें ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा। तो प्रशासन की यह थ्योरी भी बच्चियों का मनोबल तोडऩे वाली लगी। बताया गया था कि लड़कियां देर रात फोन पर बात करती हैं, जबकि मैं और मेरे साथी के पास जिओ, बीएसएनएल, आइडिया, एयरटेल थे, किसी में भी पूरी तरह से नेटवर्क नहीं आ रहा था। तब यह थ्योरी भी एक तरह से बच्चियों पर ही उलटा ब्लैम करने जैसी नजर आई। अब हमने उस गार्ड से बात की जिसे छात्राओं ने बांध दिया था। वह बताती हैं कि बच्चियां मेरे पास रात 2 बजे आईं और बोली कि हमारी एक साथी की तबियत खराब है। जब मैं देखने पहुंची तो मुझे बांध दिया। और मोबाइल लेकर चली गईं। इससे मुझे लगता है कि जरूर बड़ी दिक्कत में बच्चियां रही होंगी। इतने दिनों में लेटनाइट कोई बच्चियों ने कभी ऐसी एक्टिविटी नहीं की। हॉस्टल का रास्ता बेहद खराब है। हम जब पहुंचे तो मेनगेट पर मवेशी बैठे हुए थे। पूरे परिसर में न सीसीटीवी कैमरे थे न ही बाउंड्री वॉल का काम पूरा हुआ है। चारों तरफ से लोग आ सकते हैं और सीधे हॉस्टल में दाखिल हो सकते हैं। वहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं। मैंने सुना था कलेक्टर संवेदनशील हैं। उन्होंने इसे गंभीरता से लिया होगा, लेकिन यहां यह भ्रम भी टूट जाता है।
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