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ट्रेनों की वास्तविक स्थिति जानने इंजन में लगेंगे आरटीइएस सॉफ्टवेयर, सेटेलाइट से मिलेगी जानकारी

locationबिलासपुरPublished: Sep 20, 2020 12:55:52 pm

Submitted by:

Karunakant Chaubey

रेलवे की वर्तमान व्यवस्था के अनुसार ट्रेन एक स्टेशन से छूटने के बाद दूसरे स्टेशन तक पहुंचती है,इसके बाद ही दूसरी ट्रेन को संरक्षा के अनुसार उसी पटरी पर रवाना किया जाता है। ट्रेन की वास्तविक जानकारी न होने के कारण रेल प्रबंधन को यह पता नहीं लग पाता कि ट्रेन कहां और किन कारणों से खड़ी हुई है।

बिलासपुर. रेलवे ट्रेनों की वास्तविक जानकारी का पता लगाने विभिन्न टेक्नोलॉजी पर कार्य कर रही है। इन्हीं टेक्नोलॉजी में एक है रीयल टाइम इन्फार्मेशन सिस्टम (आरटीइएस)। इंजन में आरटीइएस लगने से रेलवे कंट्रोल रूम को ट्रेनों की वास्तविक जानकारी सीधे सेटेलाइट से मिल जाएगी। इससे ट्रेनों की लेटलतीफी से निजात मिलेगी वहीं यात्रियों को भी ट्रेन कितने समय स्टेशन पहुंचेगी यह पता चल सकेगा।

रेलवे की वर्तमान व्यवस्था के अनुसार ट्रेन एक स्टेशन से छूटने के बाद दूसरे स्टेशन तक पहुंचती है,इसके बाद ही दूसरी ट्रेन को संरक्षा के अनुसार उसी पटरी पर रवाना किया जाता है। ट्रेन की वास्तविक जानकारी न होने के कारण रेल प्रबंधन को यह पता नहीं लग पाता कि ट्रेन कहां और किन कारणों से खड़ी हुई है। सबसे ज्यादा परेशानी मालगाडिय़ों के साथ है। इसके चलते रेलवे कई बार समय पर सामान नहीं पहुंचा पाता।

ट्रेन की वास्तविक स्थिति जानने के लिए रेलवे ने हाल में ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली की शुरुआत भी की है लेकिन सारे सिग्लन को ऑटो मेटिक करना रेलवे के लिए काफी चुनौति भरा है।बावजूद इसके सिग्नल को ऑटोमैटिक करने का काम चल रहा है। ट्रेन की वास्तविक जानकारी जानने के लिए रेलवे ने नई टेक्नोलॉजी का सहारा लेने जा रही है।

रीयल टाइल ट्रेन इन्फार्मेशन सिस्टम (आरटीइएस) लगाने की शुरुआत की है। आरटीइएस जीपीएस आधारित सॉफ्टवेयर है जिसे (पावर) इंजन में लगाया जाता है। ट्रेन की वास्तविक जानकारी जानने के लिए रेलवे सेटेलाइट से जीपीएस में लगे आरटीइएस सिस्टम से सीधे ट्रेने की लोकेशन का पता लगा लेगी।

इसरो जीपीएस के माध्यम से करेगा रेलवे की निगरानी

भारतीय रेलवे ने ट्रेनों की वास्तविक जानकारी उपलब्ध होने व ट्रेनों की सुरक्षा को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो से ट्रेनों की निगरानी करने का अनुरोध किया था। सुरक्षा के लिहाज से इसरों ट्रेनों में लगे जीपीएस के आधार पर निगरानी करेगा।

जोन के 55 इंजनों में लगा है आरटीइएस

भिलाई इलेक्ट्रिक लोको शेड में एसईसीआर जोन के तीनों मंडलों में चलने वाले डब्ल्यू एपी 7 इंजन में 55 रीयल टाइम इन्फारमेशन सिस्टम लगाए जा चुके हैं वहीं अन्य इंजन में लगाने का काम तेजी से चल रहा है। देश भर में पहले चरण में 2700 इंजन में यंत्र लगाए जा चुके हैं वहीं दूसरे चरण में 6 हजार इंजनों में लगाने की प्रक्रिया होगी।

भिलाई लोको इलेक्ट्रिक शेड में इंजनों पर रीयल टाइम ट्रेन इन्फार्मेशन सिस्टम लगाने का काम चल रहा है। भिलाई से मिली जानकारी के अनुसार अब तक 55 इंजनों में जीपीएस आधाररित सॉफ्टवेयर इंस्टाल किया जा चुका है।

-पुलकित सिंघल, सीनियर डीसीएम बिलासपुर मंडल

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