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जब देश आजादी के लिए अंगे्रजों से लड़ रहा था तब बिलासपुर में दान की भूमि पर शिक्षा की अलख जगी

locationबिलासपुरPublished: Feb 15, 2019 07:52:15 pm

Submitted by:

Amil Shrivas

शहर का गौरव: जरहाभाठा का एसबीआर कॉलेज आज ए ग्रेड कॉलेज बन गया, 74 सालों में रचे कई कीर्तिमान

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जब देश आजादी के लिए अंगे्रजों से लड़ रहा था तब बिलासपुर में दान की भूमि पर शिक्षा की अलख जगी

बिलासपुर. न्यायधानी के रूप में स्थापित बिलासपुर में एक ऐसा भी महाविद्यालय संचालित हो रहा है, जो अंग्रेजों के जमाने में दूरदृष्टि के साथ एक समाजसेवी ने छोटी सी संस्था के रूप में शुरु किया था। कालेज का नाम रखा गया शिव भगवान रामेश्वर दयाल (एसबीआर) कालेज। यह बात है वर्ष 1944 की। जब महा कोशल शिक्षण समिति ने बिलासपुर में उच्च शिक्षा के दरवाजे खोलने के लिए शुरुआत की। उस समय आजादी के लिए लोग अंग्रेजों से संघर्ष कर रहे थे।
महाविद्यालय से जुड़ी जानकारी रखने वाले बताते हैं कि उस वक्त कालेज की संबद्धता नागपुर विश्वविद्यालय से लेनी पड़ी थी और एक-एक विषय के लिए कई-कई दिन चक्कर लगाने पड़ते थे। यह कालेज वर्ष 1944 से 1956 तक नागपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध रहा। इसके बाद 1956 से 1964 तक सागर विश्वविद्यालय, 1964 से 1983 तक पंडित रवि शंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर,1984 से 2012 तक गुरु घासीदास विश्वविद्यालय से संबद्ध रहा। वर्तमान में अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय से संबद्ध है।
बलदेव प्रसाद थे संस्थापक प्राचार्य
बताते हैं कि जब महाकोशल शिक्षण समिति ने कालेज की स्थापना की तो सबसे बड़ी समस्या प्राचार्य को लेकर हुई। ऐसे प्राचार्य की जरूरत थी जो कालेज में पढऩे के लिए छात्र भी तलाश सके और संबद्धता आदि की प्रक्रिया भी पूरी कर सके। काफी खोजबीन करने के बाद संस्थापक प्राचार्य बलदेव प्रसाद मिश्र को बनाया गया।
दान में दी थी जमीन
शहर के दानदाता शिव भगवान रामेश्वर दयाल बजाज ने इस कालेज की स्थापना के लिए बीच शहर में अपनी जमीन दान की थी। बताते हैं कि छह एकड़ जमीन में से एक हिस्सा ट्रस्ट की गतिविधियां संचालित करने के लिए रखा जाना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस मुद्दे पर विवाद की स्थिति बन गयी और अब तक यह मामला लंबित है। उधर वर्ष 1972 में मध्य प्रदेश सरकार ने कालेज का अधिग्रहण कर लिया। 1986 कालेज को दो भागों में बांट दिया। एक भाग में इसी बिल्डिंग में कला व वाणिज्य रखे गए। व साइंस की पढ़ाई के लिए साइंस कालेज खुला।
वर्तमान में 8 पीजी व 6 स्नातक स्तरीय विभाग
शासकीय जेपी वर्मा कालेज में वर्तमान में आठ पीजी स्तर के व छह स्नातक स्तर के विभाग हैं, जहां नियमित रूप से कक्षाओं का संचालन किया जाता है। विद्यार्थियों की संख्या लगभग तीन हजार है। यह मल्टी फैकल्टी को-एजूकेशन वाला शहर का एकलौता महाविद्यालय है।
एसबीआर कॉलेज का नाम अभी जुबां पर
शहर में न केवल पुरानी पीढ़ी बल्कि यहां पढऩे वालों के बीच कालेज का पुराना नाम एसबीआर कालेज ही प्रचलित है। छात्र बताते हैं कि वे आपसी बातचीत में शासकीय जेपी वर्मा कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय कहने के बजाय एसबीआर कालेज का ही नाम लेते हैं। पुराने जमाने के समय भवन जर्जर होने के कारण कई बार फुटहा कालेज भी बोल देते हैं। इस नाम के बारे में पूछे जाने पीजी के एक छात्र ने हंस कर जानकारी न होने की बात कही।
चुनौती थी पर सफलता मिली
आजादी से पूर्व यह कालेज स्थापित हुआ था। उस वक्त काफी चुनौतियां भी थी लेकिन मेहनत से सफलता मिली और वर्तमान स्वरूप में संचालित है। इसे सरकार ने वर्ष 1972 शासकीय कालेज का दर्जा दिया। वर्तमान में कालेज को नैक से ए ग्रेड मिला हुआ है।
डॉ. अनिल मुशरिफ, प्राचार्य जेपी वर्मा कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय
आसान नहीं थी स्थापना
वर्ष 1944 में बिलासपुर जैसे शहर में कालेज की स्थापना करना आसान नहीं था। फिर भी समाजसेवियों ने यह बड़ा काम किया। कालेज खोलने के लिए छह एकड़ जमीन भी दान में दी गयी। वर्तमान में यह कालेज राज्य के सबसे पुराने कालेजों में से एक है।
डॉ.एमके पांडेय, प्राध्यापक समाजशास्त्र विभाग
विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल करने वाले कुछ पूर्व विद्यार्थी
इस कालेज से पढ़ कर निकले विद्यार्थियों ने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में महाविद्यालय का नाम रोशन किया है। इनमें खेल, राजनीति, शिक्षा, न्यायिक जैसे कई क्षेत्र हैं।
* स्व.राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़
* अजय चंद्राकर, पूर्व मंत्री, ग्रामीण विकास एवं स्वाथ्य विभाग
* डीएस राम, पूर्व आइएएस, सेवानिवृत्त आयुक्त, मप्र शासन
* सुरेन्द्र कुमार बेहार, आइएएस, सेवाविृत्त आयुक्त, छग शासन
* एसएल रात्रे, आइएएस, सचिव राजस्व मंडल, छग शासन
* रवीश चंद्र अग्रवाल, पूर्व महाधिक्ता, छग उच्च न्यायालय
* जेपी शिवहरे, पूर्व प्राचार्य, शास. कन्या महाविद्यालय, बिलासपुर
* चंद्रप्रकाश वाजपेयी, पूर्व विधायक
* गोविंद राम मिर्री, पूर्व सांसद, लोकसभा एवं राज्यसभा
* मनोज भंडारी, व्यवसायी एवं समाजसेवी
* जवाहर सराफ, होटल व्यवसायी व समाजसेवी
* केडी भट्ट, पूर्व प्राचार्य, शास. महाविद्यालय, रतनपुर
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