इस मामले में जानकारी देते हुए अधिवक्ता संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि मामला कोरबा जिले के पोड़ी, रलिया, पठौरा सहित आधा दर्जन गांवों से जुड़ा है। जहां गेवरा कोल खदान के विस्तार को लेकर एसईसीएल ने जमीन अधिग्रहण किया है। इसके बाद साल २०१२- १३ में अवार्ड पारित किया गया। इस दौरान एसईसीएल का कहना है कि सीआईएल पॉलिसी २०१२ के तहत रोजगार देंगे। जबकि रत्थो बाई प्रकरण में हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि राज्य के गर्वनर की ओर से जारी पॉलिसी को ही लागू किया जाए। अधिवक्ता अग्रवाल ने बताया कि जितने लेागों की जमीन गई है उसके अनुसार एसईसीएल को १०८७ रोगजार देना है। लेकिन एसईसीएल के सीआईएल पॉलिसी की वजह से ४४२ लोग इससे बाहर हो रहे हैं। यदि एमपी पुनर्वास नीति या छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति का पालन एसईसीएल करती है तो ये संभव है लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
तीन हफ्ते बाद होगी सुनवाई इसी मामले में अन्य याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताबसंत कुमार कैवत्र्य ने बताया कि साल २००४ में खदान के लिए जमीन काअधिग्रहण किया गया लेकिन आज तकप्रभावितों को नौकरी नहीं दी जासकी है। ऐसे में प्रभावितों की ओरसे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटायागया है। इस मामले में पिछले तीन माह सेबहस जारी है, एसईसीएल की ओर से वयाचिकाकर्ताओं की ओर से बहस भीपूरी हो चुकी है। वहीं शासन कीओर से अभी कोई जवाब नहीं आया है।ऐसे में अब इस मामले की सुनवाई तीनहफ्ते के बाद होगी।