कोरोना के बाद सबसे ज्यादा मरीज भर्ती
राज्य मानसिक स्वास्थ्य केंद्र बिलासपुर में मार्च-अप्रैल की कोरोना लहर से निपटने के बाद जुलाई में सबसे ज्यादा जहां ओपीडी रही तो वहीं आईपीडी भी बढ़ी। यहां 106 लोगों का भर्ती करके इलाज किया गया।
2020 में 6 महीने रहा बंद, फिर भी मामले 650 पार
राज्य मानसिक स्वास्थ्य केंद्र बिलासपुर में साल 2020 में 674 आइपीडी हुईं। यह तब है जबकि मार्च से लेकर जुलाई तक पूर्ण लॉकडाउन और सितंबर-अक्टूबर में आंशिक लॉकडाउन रहा। जबकि बंदिशें पूरे साल ही रही। इस लिहाज से देखें तो 2020 में महज 4 से 5 महीने में ही साढ़े 6 सौ से अधिक मामले आए।
2021 में 18000 ओपीडी
राज्य मानसिक स्वास्थ्य केंद्र बिलासपुर में बाह्य मनोरोगियों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। सिंतबर 2021 तक के आंकड़ों के हिसाब से 17 हजार 901 ओपीडी दर्ज की गई हैं।
अप्रैल-मई की लहर के बाद और बढ़े मामले
प्रदेश के इकलौते मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में इसी साल अप्रैल और मई की कोरोना लहर के बाद ओपीडी के मामलों में भारी इजाफा हुआ। इस वर्ष जहां जनवरी में 1900, फरवरी में 1800, मार्च में 2100 ओपीडी थी तो वहीं मार्च-अप्रैल की लहर के बाद इनकी संख्या जून से 2000, जुलाई में 2200, अगस्त में साढ़े 22 सौ और सितंबर आते तक यह संख्या 2400 पार कर गई।
मानसिक अवसाद के कई कारण
मनोविश्लेषक डॉ. दिनेश लाहरी के मुताबिक मानसिक अवसाद के अनेक कारण होते हैं। लेकिन कोरोना ने इन कारणों में वृद्धि की है। लोगों को एक तरफ जहां आर्थिक चुनौतियों से दोचार होना पड़ा है वहीं अलग-थलग हो जाने की सामाजिक चुनौती ने भी लोगों के मनोबल को तोड़ा है। ऐसे अवसादों से निपटने के लिए ही राज्य मानसिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित है। लगातार कांउंसिलिंग और मोटिवेशन अवसाद से उबार सकते हैं।
राज्य मानसिक स्वास्थ्य केंद्र बिलासपुर प्रदेश का इकलौता केंद्र है। इसकी आयोजना देश के बड़े चिकित्सा केंद्रों के रूप में की गई है। स्पर्श क्लीनिक के माध्यम से विभिन्न कार्यस्थलों व सामाजिक संगठनों के साथ काम करते हैं।
– डॉ. बीआर नंदा, निदेशक, राज्य मानसिक स्वास्थ्य केंद्र, बिलासपुर