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बुधवारी बाजार की दुकानों की नापजोख शुरू, 60 दुकानों की बनाई गई सूची

locationबिलासपुरPublished: Apr 24, 2018 08:17:44 pm

Submitted by:

Amil Shrivas

बुधवारी बाजार में दुकानों को खाली कराने के फरमान का जिन्न एक साल बाद फिर से बाहर आ गया है।

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बिलासपुर . बुधवारी बाजार में दुकानों को खाली कराने के फरमान का जिन्न एक साल बाद फिर से बाहर आ गया है। रेलवे मंडल ने इस बार पांच सदस्यीय टीम का गठन कर बुधवारी बाजार की नाप जोख का जिम्मा सौंपा है, जो मंडल कार्यालय को बुधबारी बाजार की वास्तविक जानकारी देगी।
1950 के आसपास अस्तिव में आया बुधवारी बाजार रेल
अधिकारियों के गले की फांस बना हुआ है। बुधवारी बाजार में जिन व्यक्तियों को रेलवे ने स्थापित किया था, उनकी मौत हो चुकी है, उनके वारिश या तो दुकान में दूसरी दुकान संचालित कर रहे हैं या फिर बेच चुके हैं। रेलवे अधिनियम के तहत नामांतरण की प्रक्रिया को समाप्त किया जा चुका है। इसके चलते विवाद की स्थिति निर्मित हो गई है। विवाद गहराता देख हर बार रेलवे मंडल के अधिकारी जांच टीम का गठन कर कर व्यापारियों को परेशान करते हैं। यह आरोप बुधवारी बाजार संघ लगाते रहता है। व्यापारियों के आवेदन पर 1986 से अब तक तीन बार लेटर जारी कर स्थानीय स्तर पर विवाद को निपटाने की कोशिश की जा चुकी है, बावजूद इसके अब तक विवाद का निपटारा नहीं हो सका है। एक बार फिर रेलवे मंडल कार्यालय ने बुधवारी बाजार की जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है जो बुधवारी बाजार में वास्तविक दुकानदार और उसको किस व्यापार के लिए जमीन या दुकान का वितरण किया गया है, इसकी जांच कराने का जिम्मा सौंपा है, जो बुधवारी बाजार की 350 दुकानों के साथ ही रेलवे क्षेत्र की 700 दुकानों की खोजबीन कर मंडल कार्यालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। पांच सदस्यीय टीम ने शनिवार और रविवार को टीम ने
60 दुकानों का निरीक्षण कर लिया है। इसमें से केवल 10 प्रतिशत दुकानें ही वास्तविक स्वामियों के पास हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। पूर्व में भी सीनियर डीसीएम रश्मि गौतम ने कह चुकी हैं कि बुधवारी बाजार में रेलवे ने जिन नियमों के तहत जमीन या दुकान का एलाटमेंट किया था, उन नियमों के तहत कोई भी व्यापारी जमीन को दूसरे को हस्तांतरित नहीं कर सकता। लेकिन व्यापारियों ने सांठगांठ कर अपनी दुकानें बेच कर अन्य व्यापारियों को शपथ पत्र दिया है, जो अवैध है। बुधवारी बाजार में कार्रवाई तो होना ही है, लेकिन रेलवे बोर्ड की मंजूरी नहीं मिली है।
जांच टीम में ये अधिकारी
रेलवे मंडल कार्यालय ने वर्तमान में जो जांच टीम का गठन किया है, इसमें विधि विभाग से एलएस तिवारी, मानवाधिकार कमेटी से एके शुक्ला, वित विभाग से यू पंडा, सीनियर संरक्षा इंजीनियर पीएस सैनी और रेलवे सुरक्षा बल पोस्ट प्रभारी दिलीप बस्तिया शामिल है।
इन बिन्दुओं पर टीम कर रही जांच
वर्तमान में गठित टीम जमीन किस के नाम थी, जिसे जमीन दी गई उसमें अभी कौन काबिज है, हितग्राही नहीं हंै तो किस हैसियत काबिज है, जमीन खरीदी है, जबरिया कब्जा कर बैठा है और अन्य कई बिन्दु हैं।
700 लोगों को दुकानों का जारी किया था लायसेंस
पूर्व में रेलवे ने कुल 700 लोगों को दुकानों का लायसेंस जारी किया था, वह भी इस शर्त पर की जब जमीन की आवश्यकता होगी, तब रेलवे स्वत: ही उसका अतिग्रहण कर सकती है। इसमें से 350 के करीब दुकानें बुधवारी बाजार में हैं बाकी की दुकानें रेलवे क्षेत्र में हैं, उसका भी निरीक्षण किया जाना है।
क्या है विवाद रेलवे और व्यापारियों के बीच

रेलवे अधिकारियों की माने तो रेलवे ने अपनी भूमि पर जिन लोगो को व्यापार की इजाजत दी है, वह अब नहीं रहे। जमीन का हस्तांतरण करने का नियम रेलवे ने बंद कर दिया है। व्यापारी सांठगांठ कर एक दूसरे को जमीन बेच चुके हैं, जो गैरकानूनी है। वहीं व्यापारियों का कहना है कि पूर्व में जो भी दुकानें या भूमि का वितरण किया गया है, उनके परिवार के सदस्य ही जमीन पर काबिज हैं, लायसेंस का रेलवे शुल्क लेकर लायसेंस दे सकती है। लीज की कोई बात ही नहीं है। लेकिन रेलवे के अधिकारी ऐसा नहीं कर रहे हैं।

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