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जेट विमान की तरह 37 हजार फीट ऊंचे उड़कर आ रहे सोमेलियायी मेहमान, विदेशी पक्षियों को देखने लग रही भीड़

locationबिलासपुरPublished: Mar 03, 2019 11:50:52 am

Submitted by:

BRIJESH YADAV

कोपरा जलाशय में प्रवासी हेडेड गूज़ के दो पक्षियों ने यहां डेरा जमा लिया है वन विभाग बेखबर

Somalia migratory birds came to Kopra reservoir in bilaspur

जेट विमान की तरह 37 हजार फीट ऊंचे उड़कर आ रहे सोमेलियायी मेहमान, विदेशी पक्षियों को देखने लग रही भीड़

बिलासपुर. कानन पेंडारी के पीछे कोपरा जलाशय में इस बार हेडेड गूज़ पक्षियों ने डेरा जमाना शुरु कर दिया है। लेकिन इससे वन विभाग बेखबर है। पक्षियों को किसी प्रकार का व्यवधान नहीं पहुंचा तो वे अप्रैल तक रुकेंगे और फिर अपने देश मंगोलिया की ओर लौटेंगे। कानन पेंडारी के डॉ. पी के चंदन का कहना है कि कोपरा जलायश में हर साल दो-तीन प्रजातियों के पक्षी आते हैं और महीने दो महीने रुक कर चले जाते हैं। डॉ. चंदन ने बताया हिमालय के ऊपर से 37 हजार फिट की ऊंचाई तक उड़ान भर कर 74 सेमी आकार वाले ये पक्षी अक्टूबर-नवंबर माह में भारत के विभिन्न हिस्सों में बसेरा करते हैं। लगभग इतनी ही ऊंचाई पर जेट विमान भी उड़ता है। इसे दुनिया का सबसे अधिक ऊंची उड़ान भरने वाला पक्षी माना जाता है। आसपास के लोग भी बड़ी संख्या में इसे देखने के लिए जाते हैं।
मनोरम स्थल, इसलिए मिलता सुकून
कोपरा जलाशय प्रवासी पक्षियों के लिए काफी सुकून की जगह है। यहां साइबेरिया सहित कई इलाकों में देशी-विदेशी पक्षियों का डेरा लगा रहता है। जब हजारों की संख्या में वे आसमान में कतारबद्ध उड़ते हैं और जलाशय में भोजन खोजते, क्रीड़ा करते हुए दिखाई देते हैं तो दृश्य बड़ा मनमोहक होता है। ग्रामीणों ने बताया सुबह पक्षियों का यह झुंड आकाश की परिक्रमा करते, लय के साथ चहकते हुए सकरी-पेंड्रीडीह बाइपास पर स्थित कोपरा जलाशय के तट पर उतरा। स्थानीय लोग इसे हंस या राजहंस कहते हैं। ये मंगोलियाई देशों से आते हैं। जलाशय के पास गाय चरवाहा शिव यादव का कहना है कि कोपरा जलाशय में यदि व्यवधान पैदा नहीं हुआ तो ये मार्च तक रुककर आगे वापसी की यात्रा शुरू करेंगे।
वन विभाग बेखबर
वन विभाग ने इनकी सुरक्षा के लिए कोई प्रयास अब तक नहीं किया है, कुछ लोगों ने इसकी जानकारी मुख्य वन संरक्षक अरुण पांडेय को दी थी। बताया जाताा है इसी माह इस जगह का दौरा कर यहां ठहरने वाले देश-विदेश पक्षियों को सुरक्षा देने का आश्वासन दिया था। यहां बर्ड वाचिंग का कार्यक्रम भी वे बीच-बीच में बनाते रहे हैं। पर पक्षियों की सुरक्षा के लिए अधिकारिक रूप से कोई योजना जमीन पर नहीं उतरी है। जलाशय का इस्तेमाल आसपास के लोग अपने वाहनों और कपड़ों को धोने के लिए करते हैं। तेज आवाज में वाहनों के साइलेंसर और कपड़े पटके जाने की आवाज से पक्षियों को घबराकर उड़ते कई बार देखा गया है।
मिल चुकी है शिकायत
पक्षियों को देखने के लिए हर साल शाम होते ही कोपरा जलाशय में भीड़ रहती है। पर्यटक कई बार पक्षियों को पत्थर से मार देते हैं जिसके कारण वे डर जाते हैं। लोगों ने पक्षियों की शिकार होने की आशंका जताते हुए वन विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने की मांग की गई थी। दो साल पहले यहां तीन पाली में कर्मचारी रखे भी गए थे लेकिन अब इस ओर ध्यान नहीं है।
–कोपरा जलाशय में इस मौसम बाहर से पक्षियों का आना शुरु हो जाता है। अप्रवासी पक्षी दो से ढाई महीना रहने के बाद यहां से उड़ जाते हैं। यहां अक्सर दो तीन प्रकार की पक्षियां आती है। हेडेड गूज़ के दो पक्षियों ने यहां डेरा जमा लिया है।
डॉ. पी के चंदन, चिकित्सक वन्य प्राणी कानन पेंडारी
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