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मां मैं तेरे लिए नास्ता लेकर आता हूं और स्टेशन पर छोड़कर चला गया कलयुगी बेटा, तीन दिन से लगातार बह रहीं मुरझाई हुई आंखें

locationबिलासपुरPublished: May 04, 2019 01:54:48 pm

Submitted by:

Murari Soni

लोगों से बोली 72 वर्षीय वृद्ध महिला कितना मतलबी हो गया जमाना, मेरे नौजवान पांच बेटे हैं और इस तरह छोड़कर चले गए

Son left the mother at the station in Bilaspur

मां मैं तेरे लिए नास्ता लेकर आता हूं और स्टेशन पर छोडकऱ चला गया कलयुगी बेटा, तीन दिन से लगातार बह रहीं मुरझाई हुई आंखें

बिलासपुर. रेलवे स्टेशन पर ओडि़सा निवासी एक 72 वर्षीय महिला को उसका ही बेटा छोडकऱ भाग गया। तीन दिन से महिला स्टेशन पर ही रो रही थी। जब लोगों ने महिला सेे पूछा तो वृद्ध महिला की आपबीती सुनकर लोग सन्न रह गए। लोगों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि समाज में ऐसे भी लोग हैं। जो अपनी ही मां को इस हालात में पहुंचा सकते हैं। जानकारी के अुनसार मुहिद्दीन बीबी उम्र 72 साल की महिला स्टेशन पर मिली। वृद्धा ने बताया कि उसके पति का नाम बकार अली है। उसके
5 बेटे है। जिसमें से वह तीन के नाम बता पाई। उसने बताया इब्राहिम, सफी इब्राहिम, नुराइन इब्राहिम नाम के उसके नौजवान बच्चे हैं। बताया कि इसकी खुद की औलादों ने इसे धोके में रखा और यहाँ बिलासपुर स्टेशन में ये बोल कर छोड़ गए। बेटे ने कहा था कि हम तुम्हारे लिऐ नास्ता लेकर आ रहे है लेकिन वह नहीं लौटा।
तीन दिन हो गए लेकिन आंखों से आंसू नहीं रूक रहे हैं।
दावत ए आम टीम ने दिया सहारा:
दावत ए आम टीम के संस्थापक मन्नान भाई ने बताया कि वृद्ध महिला रेल्वे स्टेशन में रोती हुई मिली। हम और हमारी टीम के सदस्य खाने का पैकेट लेकर गये जब देखा इसे तो पूछे कि अम्मा क्या हुआ रो क्यों रही हो, फिर अम्मा ने अपनी भाषा मे आप बीती बताई। फिर टीम ने उसे खाना खिलाया। फिर तत्काल अपने साथ मे बैठा कर सिविल लाइन थाना लाया गया जहां थाने में उपस्थित पुलिस विभाग के जवानों का भी योगदान रहा हमारी इस मुहिम में उनके द्वारा भी मदद की गई। ,इसके बाद मासांनगढ़ ओल्ड एज होम (वृद्ध आश्रम) में ही रात 11 बजे उसे शिफ्ट किया गया।
पीछा छुड़ाने महिला को छोड़ दिया:
संस्था के सदस्यों ने बताया कि महिला को उसके बेटों ने पीछा छुड़ाने के लिए बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया। ये माँ बाप अपने बच्चे को एक दिन लायक बनाते है और अपने औलाद का घर बसाते है और उस उम्र में पहुँच जाते है जिस उम्र में उन्हें हमारी जरूरत होती है लेकिन कहते है न कि पेड़ फल देना छोड़ दे तो लोग उसे काट देते हैं, ठीक ऐसा ही कुछ इस महिला के साथ हुआ।
जब मां को है जरूरत तो बेटों ने छोड़ दिया
एक माँ अपने औलाद को 9 महीने अपनी कोख में पालती ह,ै फिर उसे इस दुनिया मे लाने अपनी जान की भी फिक्रनही करती। सालों तक अपना दूध पिलाकर उसे बड़ा करती है। खुद भूखी रह लेती है लेकिन अपनी औलाद को भूखा रहने नही देती। ये मां शब्द एक ऐसा शब्द है जिसे बोलने वाले और उसे सुनने वाले दोनो खुशकिस्मत कहलाते हैं। लेकिन आज उसके साथ ही बेटा ऐसा सलूक ये समाज पर कलंक है।

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