मुझे निडरता से एक आम आदमी की तरह जीना पसंद, निकल पड़ता हूं वक्त मिलते ही…
यह कहना है बिलासपुर जिले के एसपी अभिषेक मीणा का। वे रविवार को पत्रिका के प्रतिष्ठित मेहमान श्रृंखला कॉफी टॉक विद पत्रिका में भाग लेने पत्रिका दफ्तर पहुंचे।
मुझे निडरता से एक आम आदमी की तरह जीना पसंद, निकल पड़ता हूं वक्त मिलते ही…
बिलासपुर. अपने पर्सनल वक्त को पूरी तरह से जीता हूं। मन को खुश रखता हूं। ज्यादा लोड लेने वाला अफसर नहीं। अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करता हूं, इसलिए कभी ऐसे अवांछित तनाव आते नहीं। पुलिसिंग एक चुनौतिपूर्ण पेशा है। इसीलिए इसे चुना। आईआईटीएंस होकर आईपीएस बनना मेरा अपना फैसला है और इसमें मेरी पूरी फैमिली साथ रही। यह कहना है बिलासपुर जिले के एसपी अभिषेक मीणा का। वे रविवार को पत्रिका के प्रतिष्ठित मेहमान श्रृंखला कॉफी टॉक विद पत्रिका में भाग लेने पत्रिका दफ्तर पहुंचे।
फैमिली और पत्नी मेरी बड़ी ताकत
मेरे पिता बैंक में रहे, इसलिए शहर बदलते रहे। परिवार के लिए सिविल सर्विसे वगैरह नई बातें थी, लेकिन वे मेरे हर फैसले के साथ रहे। शायद इसीलिए यहां पहुंचा। मेरी फैमिली मेरे साथ हमेशा रही। चाहे आईआईटी का फैसला हो या सिविल सर्विस का। सिविल सर्विस में शुरू के अटैंप्ट्स विफल रहे तो थोड़ा टूटा, लेकिन परिवार वालों ने संभाला। पत्नी के साथ मेरी शेयरिंग, अंडरस्टैंडिंग एक दोस्त की तरह है। जीवन में जो होता है अच्छे के लिए होता है। यही मेरा कोर थॉट है।
पुलिसिंग एक चुनौती, इसीलिए बना आईपीएस
सिविल सर्विस की शुरुआत आईएएस बनने से हुई, लेकिन जल्द ही लगा आईपीएस में ज्यादा चुनौतियां होती हैं। एक फोर्स को कमांड करना बड़ा काम होता है। हमारे सिस्टम में जवाबदेही सबसे बड़ी और अच्छी बात है। इसे भी मैंटेन रखना और बल के जरिए विधि को स्थापित करना जटिल होता है। पुलिस के सामने बातचीत, समझाइशों के जरिए लॉ एन्फॉर्समेंट के कम ही अवसर होते हैं। ऐसे में एक पक्ष के लिए बुरा होना ही है और एक के लिए अच्छा। आईपीएस होकर नजदीक से इस चुनौती को देखता हूं।
स्पोट्र्स मेरी कोर हॉबी है, इसे जीता हूं
अभी जिम्मेदारियों के कारण वक्त कम मिलता है। जब मिलता है मैं स्पोट्र्स लवर हूं। टेनिस खेलना अच्छा लगता है। एंटरटैनमेंट आपकी थकान को दूर करता है। इसलिए टीवी कंटेंट में मुझे कॉमेडी पसंद है। थ्रिलर शोज देखता हूं। फिल्में देखता हूं। संगीत सुनना अच्छा लगता है, कभी कोई अच्छी बुक हो तो वह पढ़ता हूं। खाली वक्त बहुत कम है, पर जो हो उसे अधिकतम यूज करता हूं।
एंजॉय करता हूं…
घूमने, फिरने और पर्सनल एंजॉय के अवसर को चूकता नहीं। पत्नी के साथ गाड़ी में ड्राइव पर जाना, वैसे ही इधर-उधर घूमना मुझे अच्छा लगता है। उस वक्त भी जब घने माओवादी क्षेत्रों में तैनाती थी तब भी बिना किसी सुरक्षा प्रोटोकॉल के निकलना अच्छा लगता था। मुझे आम आदमी की तरह जीना पसंद है। वह डरता नहीं, जहां जो इच्छा होती है वह खाता-पीता, घूमता, फिरता है।
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