बिलासपुर. अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं ने शुक्रवार को वट सावित्री व्रत रखा। पौराणिक मान्यता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। यह व्रत पति की दीर्घायु और संतान के उज्जवल भविष्य के लिए रखा जाता है। वट सावित्री पूजन के दिन महिलाओं के द्वारा विधि विधान से वट सावित्री का पूजन अर्चन किया गया। विधि विधान से की पूजा श्रद्धालुओं ने विधि विधान से वट सावित्री व्रत रखा। महिलाओं ने स्नान आदि से निवृत होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर वट सावित्री व्रत और पूजा का संकल्प लिया। महिलाओं ने वटवृक्ष को जल चढ़ाया और कच्चा धागा वटवृक्ष के चारों ओर लपेट कर परिक्रमा की। चना, गुलागुला, खरबूजा व आम आदि भोग लगाए गए। बड़ के पत्तों के गहने बनाएं और उसे पहनकर सावित्री-सत्यवान की पुण्यकथा सुनी।
बिलासपुर. अखंड सौभाग्य के लिए महिलाओं ने शुक्रवार को वट सावित्री व्रत रखा। पौराणिक मान्यता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। यह व्रत पति की दीर्घायु और संतान के उज्जवल भविष्य के लिए रखा जाता है। वट सावित्री पूजन के दिन महिलाओं के द्वारा विधि विधान से वट सावित्री का पूजन अर्चन किया गया। विधि विधान से की पूजा श्रद्धालुओं ने विधि विधान से वट सावित्री व्रत रखा। महिलाओं ने स्नान आदि से निवृत होने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर वट सावित्री व्रत और पूजा का संकल्प लिया। महिलाओं ने वटवृक्ष को जल चढ़ाया और कच्चा धागा वटवृक्ष के चारों ओर लपेट कर परिक्रमा की। चना, गुलागुला, खरबूजा व आम आदि भोग लगाए गए। बड़ के पत्तों के गहने बनाएं और उसे पहनकर सावित्री-सत्यवान की पुण्यकथा सुनी।