हम बात कर रहे हैं पथरिया ब्लॉक के ग्राम सिलदहा में रहने वाले छत्रधारी प्रसाद जांगड़े की। जिन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़कर देश की सेवा करने अपने प्राण निछावर कर दिए। पुलिस फोर्स ज्वाइन करने के लिए बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ पुलिस फोर्स ज्वाइन करने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत कर रहे थे। देश के लिए कुछ कर गुजरने की लगन और कड़ी मेहनत के बल पर उन्हें पहले ही प्रयास में सन् 2001 में पुलिस की नौकरी मिल गई। उनकी पहली ही पोस्टिंग धुर नक्सली क्षेत्र दंतेवाड़ा जिले के गोलपल्ली इलाके में हुई। नौकरी के दौरान उनका सामना कई बार नक्सलियों से हुई। 20 दिसंबर 2007 में एक नक्सली मुठभेड़ में वे शहीद हो गए।
तीन बच्चों के थे पिता
शहदी छत्रधारी प्रसाद जांगड़े की पत्नी चुलेस जांगड़े ने बताया कि उनके अचानक यूं चले जाने से मेरे ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। तीन छोटे-छोटे बच्चों की परवरिश करना मेरे के लिए किसी जंग से कम नहीं था। लेकिन उनकी कहीं गई बात मुझे हर वक्त हौंसला देते रहे। वहीं परिवार वाले भी हमेशा मेरा उत्साहवर्धन करते रहे। आज उनका जो सपना था पूरा हो रहा है।
शहदी छत्रधारी प्रसाद जांगड़े की पत्नी चुलेस जांगड़े ने बताया कि उनके अचानक यूं चले जाने से मेरे ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। तीन छोटे-छोटे बच्चों की परवरिश करना मेरे के लिए किसी जंग से कम नहीं था। लेकिन उनकी कहीं गई बात मुझे हर वक्त हौंसला देते रहे। वहीं परिवार वाले भी हमेशा मेरा उत्साहवर्धन करते रहे। आज उनका जो सपना था पूरा हो रहा है।
तीन बच्चों के पिता थे छत्रधारी प्रसाद जांगड़े
शहीद छत्रधारी प्रसाद जांगड़े की शादी 1996 में ही हो चुकी थी। शिक्षक की नौकरी के दौरान ही उनकी दो बेटी और एक बेटा था, जो कक्षा छठवीं, नर्सरी और बेटा मात्र डेढ़ साल था। आज बड़ी बेटी अंजली जांगड़े बीई की पढ़ाई कर रही है। वहीं दूसरी बेटी अर्चना जांगड़े 12 वीं साइंस क्लास की स्टूडेंट है। बेटा आशुतोष जांगड़े नवमीं क्लास में अध्ययनरत हैं।
शहीद छत्रधारी प्रसाद जांगड़े की शादी 1996 में ही हो चुकी थी। शिक्षक की नौकरी के दौरान ही उनकी दो बेटी और एक बेटा था, जो कक्षा छठवीं, नर्सरी और बेटा मात्र डेढ़ साल था। आज बड़ी बेटी अंजली जांगड़े बीई की पढ़ाई कर रही है। वहीं दूसरी बेटी अर्चना जांगड़े 12 वीं साइंस क्लास की स्टूडेंट है। बेटा आशुतोष जांगड़े नवमीं क्लास में अध्ययनरत हैं।