scriptStory of Shiva Mahapuran in Tulja Bhavani temple from today, huge Kala | तुलजा भवानी मंदिर में शिव महापुराण की कथा आज से, निकली विशाल कलश यात्रा | Patrika News

तुलजा भवानी मंदिर में शिव महापुराण की कथा आज से, निकली विशाल कलश यात्रा

locationबिलासपुरPublished: Jul 19, 2023 12:40:56 am

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SHIV KRIPA MISHRA

कुदुदंड स्थित तुलजा भवानी मंदिर में सात दिवसीय शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है। आयोजन छत्तीसगढ़ मराठा महिला प्रकोष्ठ व छत्तीसगढ़ मराठा समाज की बिलासपुर इकाई और जीजामाता मराठा महिला संस्थान के द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। मंगलवार को विशाल कलश यात्रा निकाली गई।

Story of Shiva Mahapuran in Tulja Bhavani temple from today, huge Kalash Yatra started
Story of Shiva Mahapuran in Tulja Bhavani temple from today, huge Kalash Yatra started
बिलासपुर. कुदुदंड स्थित तुलजा भवानी मंदिर में सात दिवसीय शिव महापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है। आयोजन छत्तीसगढ़ मराठा महिला प्रकोष्ठ व छत्तीसगढ़ मराठा समाज की बिलासपुर इकाई और जीजामाता मराठा महिला संस्थान के द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। मंगलवार को विशाल कलश यात्रा निकाली गई।
इस कलश यात्रा में बड़ी संख्या में समाज की महिलाओं ने भाग लिया। अब कल 19 जुलाई से 25 जुलाई तक शिव महापुराण की कथा सुनाई जाएगी। यह जानकारी देते हुए मराठा समाज के प्रदेश महासचिव विक्रम बाकरे ने बताया कि कथा कराने के लिए बनारस वृंदावन से निर्मल मोहा दास जी व्यास पीठ पर आसीन रहेंगे। बाकरे ने बताया कि शोभायात्रा में शामिल महिलाओं को जिला अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी द्वारा मां भवानी पर चढ़ाई गई साडिय़ां आशीर्वाद स्वरुप सभी मातृशक्ति को भेंट की गईं।
पुरुषोत्तम मास में भगवतï् की भक्ति पूजा पाठ व मंत्रों के जाप में बिताएं
बिलासपुर. १९ साल बाद सावन में अधिकमास का संयोग बना है। १८ जुलाई मंगलवार से अधिकमास की शुरुआत हुई। १६ अगस्त तक अधिकमास में पूजा-पाठ, मंत्रों के जाप व भगवतï् भक्ति के लिए महत्वपूूर्ण माना गया है। पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश महाराज ने बताया कि एक बार हिरण्यकश्यप ने कठोर तप से भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न किया और उनसे अमरता का वरदान मांगा लेकिन अमरता का वरदान देना निषिद्ध था।
इसलिए भगवान ब्रह्मा ने उसे कोई और वरदान मांगने को कहा- तब हिरण्यकश्यप ने ब्रह्माजी से कहा आप ऐसा वरदान दें, जिससे संसार का कोई नर-नारी, पशु, देवता, असुर उसे मार ना सके और वर्ष के सभी 12 मास उसकी मृत्यु न दिन में हो ना रात को, वह ना किसी अस्त्र से मरे और ना किसी शस्त्र से, उसे न घर के अंदर मारा जा सके और ना ही घर के बाहर।ब्रह्मा जी ने उसे ऐसा ही वरदान दिया लेकिन इस वरदान के मिलते ही हिरण्यकश्यप स्वयं को अमर और भगवान के समान मानने लगा।तब भगवान विष्णु अधिक मास में नरसिंह अवतार के रूप में प्रकट हुए और शाम के समय देहरी के नीचे अपने नाखूनों से हिरण्यकश्यप का सीना चीर कर उसे मृत्यु के द्वार भेज दिया।
पीठाधीश्वर आचार्य दिनेश जी महाराज ने बताया कि प्रत्येक मनुष्य को पुरुषोत्तम मास में अधिक से अधिक समय भगवत् भक्ति, पूजा पाठ व मंत्रों के जाप में बिताना चाहिए।
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