याचिककर्ता एमबीबीएस की छात्रा दीप्ति तलरेजा मूलतः पाकिस्तान की है जिनका वीजा पकिस्तान में सरेंडर हो चुका है। उसके माता पिता को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है और बेटी का आवेदन अभी पेंडिंग है।.वही दूसरा नेपाल निवासी सूरज पुयल है। दोनों याचिकाकर्ताओं को सेंट्रल पूल कोटे से एम्स रायपुर की दो सीटें मिलीं। जिसमें दोनों का एडमिशन हो गया और इन्डियन कोटे की फीस भी भर दी गई। इसके बाद एम्स ने दोनों को नोटिस जारी करते हुए 6 जून तक 75,000 डालर अर्थात 56 - 56 लाख रुपए चुकाने कहा। नहीं देने की स्थिति में एडमिशन निरस्त किए जाने का जिक्र किया गया। इसके खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने अर्जेंट याचिका लगाई। इसमे कहा कि एम्स रायपुर के पास एनआरआई कोटा है ही नहीं और वे विदेशी कोटे की फीस मांग रहें है। प्रारंभिक सुनवाई पर हाइकोर्ट ने एम्स से जवाब मांगा था। 6 जून को एम्स का जवाब आ गया। इस जवाब के बदले जवाब पेश करने याचिकाकर्ता के वकील ने समय मांगा साथ ही नोटिस की कार्रवाई पर रोक की मांग की। हाइकोर्ट ने 14 जून तक एम्स के नोटिस में कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
याचिककर्ता एमबीबीएस की छात्रा दीप्ति तलरेजा मूलतः पाकिस्तान की है जिनका वीजा पकिस्तान में सरेंडर हो चुका है। उसके माता पिता को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है और बेटी का आवेदन अभी पेंडिंग है।.वही दूसरा नेपाल निवासी सूरज पुयल है। दोनों याचिकाकर्ताओं को सेंट्रल पूल कोटे से एम्स रायपुर की दो सीटें मिलीं। जिसमें दोनों का एडमिशन हो गया और इन्डियन कोटे की फीस भी भर दी गई। इसके बाद एम्स ने दोनों को नोटिस जारी करते हुए 6 जून तक 75,000 डालर अर्थात 56 - 56 लाख रुपए चुकाने कहा। नहीं देने की स्थिति में एडमिशन निरस्त किए जाने का जिक्र किया गया। इसके खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने अर्जेंट याचिका लगाई। इसमे कहा कि एम्स रायपुर के पास एनआरआई कोटा है ही नहीं और वे विदेशी कोटे की फीस मांग रहें है। प्रारंभिक सुनवाई पर हाइकोर्ट ने एम्स से जवाब मांगा था। 6 जून को एम्स का जवाब आ गया। इस जवाब के बदले जवाब पेश करने याचिकाकर्ता के वकील ने समय मांगा साथ ही नोटिस की कार्रवाई पर रोक की मांग की। हाइकोर्ट ने 14 जून तक एम्स के नोटिस में कार्रवाई पर रोक लगा दी है।