महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने शुक्रवार को प्रार्थना भवन में आयोग की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में यह आदेश दिया है। महिला उत्पीडऩ से संबंधित प्रकरणों की जनसुनवाई के दौरान एक आवेदिका द्वारा शिकायत की गई कि परिवहन विभाग में कार्यरत अनावेदक उसके पति शासकीय कर्मचारी है जो शादीशुदा होने के बावजूद अन्य महिला के साथ अवैध संबंध है।
सभी दस्तावेजों की जांच के उपरांत महिला आयोग द्वारा अनावेदक शासकीय कर्मचारी एवं संबंधित महिला के विरूद्ध सिविल सेवा आचरण संहिता के तहत् विभागीय जांच के साथ ही निलंबन और निष्कासन की अनुशंसा की गई है।
आवेदिका की शिकायत पर उक्त प्रकरण की सुनवाई यहां की गई। आवेदिका के पुत्र ने यह बात बताई है कि वह अपनी दादी के साथ स्वयं बलौदाबाजार में रहता है एवं उसके अन्य दो भाई, बहन उस महिला पर्यवेक्षक के साथ रहते है। आयोग ने निर्णय दिया कि शासकीय सेवा में होने के बावजूद बिना तलाक लिए अनावेदक का यह कृत्य अवैध संबंधों को बढ़ावा दे रहा है।
परिवहन विभाग के मंत्री एवं प्रमुख सचिव को पत्र प्रेषित कर विभागीय जांच एवं छग सिविल सेवा आचरण के तहत जांच की अनुशंसा की जाए । जांच तक निलंबित रखने एवं जांच में दोषी पाए जाने पर सेवा समाप्त करने की अनुशंसा करने का पत्र भी प्रेषित किया जाएगा। महिला एवं बाल विकास विभाग में कार्यरत अनावेदिका को जनसुनवाई में बुलवाने के बावजूद वो नहीं आई। उनके विभागीय मंत्री एवं सचिव को विभागीय जांच एवं छग सिविल सेवा आचरण के तहत जांच के अनुशंसा का पत्र प्रेषित किया जाए। जांच तक निलंबित रखने एवं जांच में दोषी पाए जाने पर सेवा समाप्त करने की अनुशंसा की जाती है।
कार्यस्थल पर प्रताडऩा की पुन: जांच
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने कार्यस्थल पर प्रताडऩा की शिकायत की गई । शिकायत में आवेदिका ने बताया कि उनकी शिकायत पर आंतरिक परिवाद समिति द्वारा अनावेदक का मात्र स्थानांतरण किया गया। जिससे आवेदिका ने अपर्याप्त मानते हुए आयोग के समक्ष आवेदन किया। आवेदिका एवं अनावेदक दोनों प्रतिष्ठित पद पर उच्चाधिकारी है। इस मामले में आंतरिक परिवाद समिति की अनुशंसा से आवेदिका के असंतुष्ट होने पर आवेदिका को एक बार पुन: अधिनियम 2013 कार्यस्थल पर प्रताडऩा की प्रकिया प्रारंभ करने और आयोग में आंतरिक परिवाद समिति की गठन की सूची भेजने कहा गया ताकि आयोग आंतरिक परिवाद समिति के सदस्यों को पूूछताछ के लिए तलब कर सके।
बच्चों के भरण-पोषण के लिए दादा 3 हजार हर माह देगा
इसी प्रकार भरण-पोषण के प्रकरण में आवेदिका ने अपने अनावेदक ससुर के खिलाफ शिकायत की। जिसमें आयोग की सिफारिश पर बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए अनावेदक ने जब तक उनका बेटा जेल से बाहर नहीं आ जाता तब तक 3 हजार रुपए प्रतिमाह देने पर सहमति जताई।
23 प्रकरण
आयोग की सुनवाई में 23 प्रकरण रखे गए थे। जिनमें से 4 प्रकरण नस्तीबद्ध किए गए । 7 नए प्रकरण पंजीबद्ध किए गए है। 17 प्रकरणों पर सुनवाई की गई। शेष प्रकरणों की सुनवाई अगली जनसुनवाई में की जाएगी ।