हाईकोर्ट ने रेलवे के जिस तर्क को किया था खारिज, रेलवे ने फिर उसी प्रश्न का जवाब मांगने व्यापारी को दिया नोटिस
बिलासपुरPublished: Mar 16, 2020 11:53:04 am
bilaspur high court: बुधवारी बाजार का मामला
हाईकोर्ट ने रेलवे के जिस तर्क को किया था खारिज, रेलवे ने फिर उसी प्रश्न का जवाब मांगने व्यापारी को दिया नोटिस
बिलासपुर. बुधवारी बाजार के व्यापारियों ने हाईकोर्ट का निर्णय आने के बाद एसईसीआर में नामांतरण को लेकर आवेदन लगाया है। इन आवेदन लगाने वालों में एक नाम करतार खटवानी का भी है। नामांतरण को लेकर लगाए गए आवेदन पर रेलवे ने करतार खटवानी को रेलवे की भूमि में अवैध कब्जाधारी बताते हुए जमीन को खाली करने का फरमान जारी किया है। रेलवे का नोटिस मिलने के बाद व्यापारी ने रेलवे को जवाब पेश किया है वहीं निराकरण न होने पर हाईकोर्ट की शरण में जाने का विचार करने की बात कही है।
रेलवे परिक्षेत्र के बुधवारी बाजार में दुकान चलाने व्यापारियों व रेलवे के बीच लम्बे समय से लायसेंस शुल्क व नामांतरण को लेकर नुरा कुश्ती चल रही है। रेलवे वर्षों से दुकानदारी चला रहे व्यापारियों को अवैध कब्जाधारी बताते हुए दुकानें खाली कराने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। रेलवे ने अपनी मंशा के अनुसार कुछ वर्षों पूर्व व्यापारियों को दुकानें खाली कराने नोटिस जारी किया था। रेलवे की नोटिस के विरोध में लगभग 35 से 40 व्यापारियों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इन आवेदनकर्ताओं में करतार खटवानी पिता गौरव खटवानी भी एक है। करतार खटवानी को रेलवे ने हाईकोर्ट व रेलवे बोर्ड के आदेश का हवाला देते हुए बुधवारी बाजार की शीट नं. 43/1 को वर्ष 1 अप्रैल 1958 में लाला शुक्ला को 88 वर्ग फिट जमीन तीन साल के लिए लीज पर दिया था। लाला शुक्ला का लीज समाप्त होने के बाद शीट नं. 43/1 पर सीरूमल दुकान लगाने लगा। सीरूमल का रेलवे से कोई अनुबंध नहीं था व अवैध तरीके से प्लाट कर कब्जा किए हुआ था। रेलवे ने नोटिस में यह भी कहा है कि 88 जमीन की जगह वर्तमान में करतार ने रेलवे के 252.86 जमीन पर कब्जा कर रखा है। रेलवे सीरूमल को लायसेंसधारी मानने से इंकार करते हुए जमीन को स्वत:खाली करने का आदेश जारी किया है। व्यापारी करतार खटवानी को नोटिस मिलने के बाद करतार ने रेलवे की जारी नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि वह आज की तारीख में रेलवे की 99 वर्ग फीट की जमीन दुकान चला रहे। सीरूमल (करतार खटवानी के दादा ) को तत्कालीन रेलवे अधिकारियों ने शुल्क लेकर 5 दिसम्बर 1963 में आवंटित किया था। तब से सीरूमल उसके बाद बेटा गौरव खटवानी और अब पोता करतार खटवानी ने 25 दिसम्बर 2014 तक रेलवे को लायसेंस शुल्क का भुगतान किया है। वर्ष 2014 के बाद से रेलवे ने लायसेंस शुल्क लेना बंद कर रखा है।
हाईकोर्ट ने रेलवे की दलील कर दी थी खारिज
करतार खटवानी व बुधवारी बाजार के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश छाबड़ा का कहना है कि हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान भी रेलवे ने जवाब में यही दलील दी थी। सुनवाई के दौरान रेलवे की दलील को हाईकोर्ट खारिज करते हुए रेलवे बोर्ड की गाइड लाइन के आधार पर दुकानों का नामांतरण व हस्तातरण करने का आदेश दिया है। वाबजूद इसके रेलवे हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी पुरानी बातों को लेकर परेशान कर रही है।