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बिलासपुर

कारगिल में शहीद हुआ था जो सपूत आज उसकी पोती पर आ गई है विपत्ती करें मदद

मुंगेली के शहीद धनंजय सिंह की 7 साल की पोती का दिल्ली में होना है ऑपरेशन लेकिन पैसे नहीं

बिलासपुरJul 08, 2019 / 02:04 pm

Murari Soni

The martyr's family needs help

कारगिल में शहीद हुआ था जो सपूत आज उसकी पोती पर आ गई है विपत्ती करें मदद

बिलासपुर. जिस वक्त पूरा देश क्रिकेटर माही का जन्मदिन मना रहा था, ठीक उसी वक्त मुंगेली के एक छोटे से गांव पंढर भट्टा की नन्हीं माही दिल्ली के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थी। यह लड़ाई इसलिए भी मुश्किल हो चुकी है क्योंकि पिता की आर्थिक हालत बेहद कमजोर है। पेशे से किसान पिता अपनी हैसियत से कहीं ज्यादा बच्ची के इलाज पर खर्च कर चुके हैं और अब आर्थिक मदद के लिए गुहार लगाने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है। 7 साल की माही राजपूत थैलेसीमिया मेजर से पीडि़त है।
आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि माही राजपूत मुंगेली क्षेत्र के कारगिल शहीद धनंजय सिंह राजपूत के परिवार की बच्ची है। शहीद धनंजय सिंह के भतीजे अनिल सिंह राजपूत की बड़ी बेटी माही राजपूत थैलेसीमिया मेजर से ग्रसित है और बचपन से ही हर महीने उसका इलाज कराना जरुरी रहा है।

The <a  href=
martyr’s family needs help” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/07/08/203_4809069-m.jpg”>माही के स्वस्थ होने के लिए डॉक्टर ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट को एक मात्र इलाज बताया है। लेकिन शहीद परिवार का आर्थिक ढांचा इतना कमजोर है कि अपने बलबूते बच्ची का इलाज कराना उनके लिए मुमकिन नहीं। बच्ची के इलाज के लिए पिता कर्जदार बन चुके हैं। फिर भी परिवार की हर मुमकिन कोशिश है कि किसी तरह माही राजपूत स्वस्थ हो जाए। इसके लिए माही राजपूत का बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जाना है।
नई दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट एंड रिसर्च सेंटर में माही का इलाज चल रहा है। माही राजपूत की छोटी बहन 3 साल की सौम्या राजपूत बोन मैरो डोनर है। अस्पताल प्रबंधन ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट में 15 लाख का खर्चा बताया है। इसके अलावा दिल्ली में रहने करने और खाने पर भी करीब 3 लाख से अधिक का खर्चा बैठ रहा है। कुल मिलाकर बच्ची के इलाज में 18 से 20 लाख रुपए का खर्चा अनुमानित है।

इस खर्च में सरकारी मदद के तौर पर मुख्यमंत्री द्वारा 1 लाख 35 हजार और प्रधानमंत्री द्वारा 3 लाख रुपए की आर्थिक मदद मिली है, लेकिन कुल खर्च का यह एक बहुत ही मामूली हिस्सा भर है । हैरानी इस बात की है कि जिस अमर शहीद के नाम पर मुंगेली में स्टेडियम का नामकरण किया गया है, आज उनकी पोती आर्थिक मदद न मिलने से जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है। आपको याद दिला दें कि जिस वक्त कारगिल की लड़ाई में धनंजय सिंह शहीद हुए थे, उसके बाद उनकी अंत्येष्टि खुद माही के पिता अनिल ने ही की थी।
सोशल मीडिया पर शहीदों के लिए सब कुछ समर्पित करने की बातें भले कही जाती है, लेकिन हकीकत यह है कि जब शहीद धनंजय सिंह के परिजनों पर आर्थिक संकट का बोझ पड़ा है तब उनकी मदद के लिए कोई भी आगे नहीं आ रहा है। मामूली सरकारी मदद से माही राजपूत का पूरा इलाज मुमकिन नहीं, इसलिए अब लाचार पिता ने आम लोगों से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है। फिलहाल दिल्ली में मौजूद माही के पिता अनिल सिंह राजपूत किसी तरह पैसो का बंदोबस्त कर माही का इलाज करा रहे हैं, लेकिन ऐसा बहुत दिनों तक मुमकिन नहीं हो पाएगा।
अगर उन्हें जल्द ही आर्थिक मदद नहीं मिली तो फिर माही का इलाज रुक जाएगा और ऐसे में बच्ची की जान को भी खतरा होगा। सरकारी मदद की अपनी सीमाएं हैं। ऐसे में मासूम माही राजपूत की आखरी उम्मीद हर उस इंसान से है, जिसका इंसानियत पर भरोसा है, जो देश के अमर शहीद का सम्मान करता है। उनसे गुहार लगाई जा रही है कि वे अपने स्तर पर छोटी-बड़ी आर्थिक मदद कर माही राजपूत की जिंदगी बचाने मैं अपना योगदान दें । माही राजपूत के पिता अनिल सिंह राजपूत से दानदाता उनके मोबाइल नंबर 9098 991616 पर संपर्क कर उनकी मदद कर सकते हैं। हमारे देश में दानदाताओं की कोई कमी नहीं है। हिंदू, मुस्लिम सभी धर्मों में दान और जकात को उच्च स्थान दिया गया है। लेकिन जानकारी ना होने से लोग मदद को आगे नहीं आ पाते।
इस लिहाज से मीडिया से भी अनिल राजपूत ने इस मुद्दे पर मदद की गुहार लगाई है। एक मजबूर पिता के आगे अजीब सी दुविधा है । एक और फूल सी मासूम बच्ची की जिंदगी तो दूसरी ओर विपन्नता। ऐसे में उनकी इस दुविधा को सक्षम दानदाता आर्थिक मदद से दूर कर सकते हैं।

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