अभियुक्त सन्तोष ताम्रकार (42) को विशेष न्यायाधीश द्वारा पॉक्सो एक्ट के तहत विभिन्न धाराओं में सजा सुनाई गई थी। सजा के विरुद्ध हाईकोर्ट में आरोपी ने अपील दायर कर कहा कि कुछ पारिवारिक विवाद के कारण बच्ची के परिजन ने उसको झूठे मुकदमे में फंसाया है। हाईकोर्ट ने झूठे केस में फंसाने के आरोपी के तर्कों को निराधार माना, सजा बरकरार रखते अपील खारिज
यह है मामला- घटना के अनुसार 1 नवंबर 2017 को शाम करीब 5 बजे पीड़ित 7 वर्षीय बच्ची मोहल्ले की दो लड़कियों के साथ खेल रही थी। आरोपी उसे अपने घर में ले गया और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। सहेलियों ने बच्ची के घर वालों को जानकारी दी तो बच्ची की मां व अन्य लोग पहुंचे और दरवाजा पीटते हुए हंगामा किया। इस पर आरोपी ने दरवाजा खोला। बच्ची के कथन से पता चला कि आरोपी ने उसके यौन अंगों को गलत तरीके से छुआ और दुष्कर्म की कोशिश की। हाईकोर्ट ने झूठे केस में फंसाने के आरोपी के तर्कों को निराधार माना, सजा बरकरार रखते अपील खारिज कर दी।