झूमा के पति काम के सिलसिले में सिलिगुड़ी रहते हैं। पति की गैर मौजूदगी में तीन बेटियों की जिम्मेदारी उन पर है। बड़ी बेटी जनियाना लाहा और मंझली बेटी जैस्मिन लाहा पढ़ाई के साथ-साथ तैराकी प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही हैं। सबसे छोटी बेटी श्रोतोस्वनी लाहा को तैराकी के गुर सिखाने के प्रयास जारी हैं।
झूमा लाहा रोज सुबह 4 बजे बेटियों को तैयारी की प्रैक्टिस करवाने तरणताल लेकर निकल पड़ती हैं। वह अपनी बेटियों से कहती हैं कि अभी का समय ही महत्त्वपूर्ण है, जो करना है, करती रहो। झूमा कहती हैं कि बेटियां जब गोल्ड मेडल जीतती हैं, तो उन्हें बचपन याद आता है और संतोष होता है कि बेटियां उनकी तरह नहीं हैं। शिक्षा और खेलों में नाम रोशन कर रही हैं। झूा लाहा कहती है कि मुझे कई बार लोग कहते हैं कि तुम्हारी तीन बेटियां हैं, इन्हें घर का काम सिखाओ, मैं लोगों की परवाह नहीं करती। मैं अपनी बेटियों को ऊंचे मुकाम पर पहुंचाने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं।