रविवार को खुलासा करते हुए एएसपी ओपी शर्मा ने बताया कि शहर के सब्जी , कपडा बाजार व भीड़भाड़ वाली जगहों से लगातार लोगों के मोबाइल चोरी होने की शिकायतें मिल रहीं थीं। शहर के अलग-अलग थानों में चोरी के मामले भी दर्ज किए गए थे। चोरों को पकडऩे के लिए सभी थानों के कर्मचारियों को अलर्ट किया गया था। बृहस्पति बाजार में पुलिस कर्मी चोर की तलाश कर रहे थे। बाजार में 2 किशोर व 1 युवक संदिग्ध लगे। तीनो को हिरासत में लिया गया। पूछताछ में पकड़े गए युवक ने अपना नाम सूरज मंडल पिता बाबूमंडल ( 25) निवासी महाराजपुर साहेबगंज झारखंड बताया। उसने किशोरों से बाजार में लोगों के मोबाइल चोरी करवाना स्वीकार किया। आरोपी सूरज ने बताया कि उसके 2 साथी दिलीप चौधरी पिता प्रेम चौधरी ( 24) हाथीगढ़ साहेबगंज, राजेश चौधरी पिता रूपनारायण ( 26) निवासी महाराजपुर साहेबगंज व 2 किशोर बिलासपुर रेलवे स्टेशन में रूके हैं। सूचना पर पुलिस ने बिलासपुर रेलवे स्टेशन से गिरोह के सदस्य दिलीप, राजेश व 2 अन्य किशोरों को पकड़ा। आरोपियों के कब्जे से 38 चोरी के मोबाइल बरामद किए गए।
ट्रेनिंग, सैलरी और ट्रांसफर सबकुछ पूछताछ में किशोरों ने पुलिस को बताया कि गिरोह के सरगना दिलीप व सूरज मंडल उन्हें चोरी करने की ट्रेनिंग दी थी। ट्रेनिंग के बाद चोरी करने के लिए उन्हें दूसरे शहर लेकर जाते हैं। मोबाइल चोरी करने के बदले उन्हें 15 हजार रुपए महीना मिलता है।
ऐसे देते थे वारदातों को अंजाम
आरोपी किशोरों ने बताया कि वे चोरी करने से पहले एक के ऊपर एक 2-3 जोड़ी कपड़े पहनते हैं। बाजार में भीड़भाड़ व मौका देखकर सामान खरीदने वालों के मोबाइल सफाई से पार करते हैं।मोबाइल को झोले और पेपर में लपेटकर पीछे खड़े गिरोह के सदस्यों को दे देते हैं। घटना के बाद सूनसान जगह पर जाकर कपड़े बदलते हैं। इसके बाद दूसरे दिन अलग कपड़े पहनकर दूसरी भीड़भाड़ वाली जगह पर पहुंचकर वारदात को अंजाम देते थे
बिलासपुर समेत कई जिलों में दे चुके हैं वारदातों को अंजाम आरोपी किशोरों और गिरोह के सदस्यों ने पुलिस को बताया कि वे बिलासपुर के अलावा, रायगढ़, कोरबा, जांजगीर-चांपा व छत्तीसगढ़ के बाहर दूसरे प्रदेशों में मोबाइल चोरी की वारदातों को अंजाम दे चुके हैं। पिछले ढाई साल से गिरोह मोबाइल चोरी के काम में सक्रिय है।
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हजारों के मोबाइल बेचते हैं कौडिय़ों के दाम में
आरोपियों ने बताया कि चोरी के मोबाइल को वे झारखंड़ स्थित साहेबगंज लेजाते हैं। वहां मोबाइल के सिमकार्ड निकालने के बाद मोबाइलों को इक_ा कर नेपाल ले जाते हैं। वहां 1 मोबाइल 2-3 हजार रुपए में बेच देते हैं। चोरी के मोबाइल नेपाल पहुंचने के बाद साइबर सेल से ट्रेस भी नहीं हो पाते हैं