न बैंक खाते खुल रहे न समाज दे रहा सम्मान
थर्ड जेंडर समुदाय की राजरानी कहती हैं, हम हाईवे पर खड़े होकर भीख मांग कर आजीविका चलाने को विवश हैं। अच्छी शिक्षा, स्वास्थ, समाज में बराबरी का हक दूर की कौड़ी है। बिलासपुर में इतनी बड़ी संख्या में आबादी है, लेकिन इनमें से 10-20 के भी बैंक खाते नहीं हैं। तुर्रा यह कि बैंकर ललित कहते हैं, थर्ड जेंडर के लिए बैंकों ने कभी अपने दरबाजे बंद नहीं किए।
चाहिए औपचारिक पहचान
थर्ड जेंडर के क्षेत्र में काम कर रहे विमल भाई कहते हैं, आईकार्ड, सेक्स रिअसाइनमेंट आदि सुविधाएं तब की हैं जब इनके व्यवसाय को भी औपचारिक पहचान मिले। अभी ज्यादातर भिक्षावृत्ति में ही संलग्न हैं।
1030 को जारी किया आईकार्ड
प्रदेश के सामाजिक न्याय विभाग ने अब तक 1030 लोगों को आईकार्ड जारी किए हैं। इसके लिए केंद्र ने एक पोर्टल बनाया है, जिस पर जाकर स्वयं थर्ड जेंडर अपना पंजीयन करा सकते हैं।
दंडेवाड़ा में एक भी नहीं, बिलासपुर में सबसे ज्यादा
सबसे ज़्यादा 800 उभयलिंगी बिलासपुर में हैं। दंतेवाड़ा में एक भी थर्ड जेंडर नहीं।
प्रदेश में 6 लोगों ने ही कराया सेक्स रिअसाइनमेंट
नए कानून में थर्ड जेंडर अपने व्यवहार के अनुसार अपना ***** तय कर सकते हैं। इसके लिए हर सरकारी अस्पताल में फ्री सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी की व्यवस्था है। प्रदेशभर में 6 लोगों ने ऐसा करवाया है।
नकली थर्ड जेंडर नहीं
प्रदेश में नकली थर्ड जेंडर को लेकर कोई मामला नहीं है। समुदाय की मीना कहती हैं, नकली अलग दिखते हैं।
यूपी में सबसे ज्यादा थर्ड जेंडर
देशभर में फैले 4 लाख 87 हजार 803 थर्ड जेंडरों में से उत्तर प्रदेश में 1 लाख 37 हजार 465 लोग हैं।
इनके उत्थान के लिए विभाग संवेदनशील है।
– पी. दयानंद, डायरेक्टर, समाज कल्याण विभाग