नवरात्रि के पहले दिन एक लकड़ी की पटरे पर सफेद या लाल कपड़ा बिछाकर मां शैलपुत्री की मूर्ति रखें।
मां शैलपुत्री को सफेद रंग की चीजें काफी प्रिय हैं, ऐसे में मां को सफेद रंग की चीजें अर्पित करें।
मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक जलाएं और सफेद आसन पर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें।
एक साबुत पान का पत्ता लें और उसमें 27 साबुत लौंग रखें।
इसके बाद ओम शैलपुत्रये नम: मंत्र का 108 बार जाप करें।
मां के मंत्र का जाप करने के बाद लौंग को कलावे से बांधकर माला बना लें। इस लौंग की माला को मां शैलपुत्री को अर्पित करें।
मां को सफेद बर्फी का भोग लगाएं।
मां शैलपुत्री का मंत्र
ओम देवी शैलपुत्र्यै नम:॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
स्तुति: या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता: नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
मां शैलपुत्री आरती
शैलपुत्री माँ बैल असवार। करें देवता जय जय कार॥
शिव-शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने न जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावें। जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू। दया करें धनवान करें तू॥
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती जिसने तेरी उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दु:ख तकलीफ मिटा दो॥
घी का सुन्दर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें। प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥
जय गिरराज किशोरी अम्बे। शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो। चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥
मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व
जीवन के समस्त कष्ट क्लेश और नकारात्मक शक्तियों के नाश के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग सुपारी मिश्री रखकर मां शैलपुत्री को अर्पण करें। मां शैलपुत्री की आराधना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और कन्याओं को उत्तम वर मिलता है। नवरात्रि के प्रथम दिन उपासना में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं. शैलपुत्री का पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है और अनेक सिद्धियों की प्राप्ति होती है।