अ न्य काउंटर्स को खेलने को लेकर लगातार मरीज व उनके परिजन सिविल सर्जन से गुहार लगा रहे, फिर भी सरासर अनदेखी की जा रही है। सिम्स हो या जिला अस्पताल, जिलेवासियों के लिए दोनों बड़े हॉस्पिटल हैं। लिहाजा यहां जिला ही नहीं, संभाग व मध्यप्रदेश से भी रोजना सैकड़ों की संख्या में मरीज इलाज कराने पहुंच रहे। इस आशा में कि उन्हें यहां बेहतर सुविधाओं के साथ अच्छा इलाज मिलेगा, पर यहां आते ही उनकी आशा, निराशा में बदल जाती है। जिला अस्पताल की बात करें तो यहां तो पंजीयन काउंटर में ही मरीजों को ओपीडी पर्ची के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। यूं तो यहां महिला, पुरुष व दिव्यांग सहित बुजुर्गों के लिए तीन अलग पंजीयन काउंटर बनाए गए हैं, पर एक ही काउंटर से काम चलाया जा रहा है। लिहाजा रोजाना गेट तक भीड़ लग जाती है। ऐसे में कई ऐसे मरीज जो दोपहर 1 बजे या उसके बाद पहुंचे, उनका पंजीयन ही नहीं हो पाता। जिससे बिना इलाज ही लौटना पड़ता है।
शिकायत पर निजी अस्पताल जाने देते हैं सलाह : काउंटर बढ़ाने को लेकर जब मरीज या परिजन सिविल सर्जन के पास गुजारिश करने पहुंचते हैं तो उन्हें प्राइवेट अस्पताल जाने की सलाह दी जा रही है। राजकिशोर नगर से इलाज कराने पहुंचे रोहित वर्मा, लिंगियाडीह के मोहन साहू ने बताया कि वे पंजीयन काउंटर में भीड़ को लेकर परेशान थे। लिहाजा उन्होंने दूसरे काउंटर से भी पंजीयन करने की बात लेकर सिविल सर्जन के पास गए तो उन्हें यह कहा गया कि यह सरकारी अस्पताल है, मनचाही सुविधा चाहिए तो निजी अस्पताल जाओ। अन्यथा लाइन में लगो। इसी तरह अन्य मरीजों व उनके परिजनों का भी यही आरोप है। मजबूरी में उन्हें या तो घंटों लाइन में लग कर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है या फिर थक-हारकर घर लौटना पड़ रहा है।
मातृ-शिशु अस्पताल में भी यही स्थिति : जिला अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में तो अव्यवस्था है ही। नई बिल्डिंग यानी मातृ-शिशु अस्पताल में भी यही स्थिति है। यहां पंजीयन के लिए दो काउंटर होने के बाद भी एक ही काउंटर से ओपीडी पंजीयन किया जा रहा है। भीड़ बढऩे से प्रसूताओं व उनके परिजनों को परेशानी उठानी पड़ रही है। जिला अस्पताल में रोजाना 900 से 1000 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। एक-एक काउंटर इतनी भीड़ के लिए नाकाफी है। जिसका खामियाजा मरीजों व उनके परिजनों को भुगतना पड़ता है।
& शासन स्तर पर अस्पताल में ंजितनी व्यवस्थाएं बनाई गई हैं, उसी के दायरे में मरीजों को सुविधाएं दी जा रही हैं। अलग से कहां से व्यवस्था कर दें।
डॉ. अनिल गुप्ता, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल।