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घर छोड़ा, गणेश बैठाया और रात भर टूटे पंडाल के नीचे बैठे रहे ये बच्चे, सुबह लोगों ने पूछा नाम तो पता चला दोनों मुसलमान

locationबिलासपुरPublished: Sep 04, 2019 07:12:00 pm

Submitted by:

Saurabh Tiwari

बप्पा के लिए घर छोड़ा, पंडाल बनाई और रात भर बारिश में हाथ जोड़कर भीगते रहे दो मुस्लिम बच्चे

घर छोड़ा, गणेश बैठाया और रात भर टूटे पंडाल के नीचे बैठे रहे ये बच्चे, सुबह लोगों ने पूछा नाम तो पता चला दोनों मुसलमान

घर छोड़ा, गणेश बैठाया और रात भर टूटे पंडाल के नीचे बैठे रहे ये बच्चे, सुबह लोगों ने पूछा नाम तो पता चला दोनों मुसलमान,घर छोड़ा, गणेश बैठाया और रात भर टूटे पंडाल के नीचे बैठे रहे ये बच्चे, सुबह लोगों ने पूछा नाम तो पता चला दोनों मुसलमान,घर छोड़ा, गणेश बैठाया और रात भर टूटे पंडाल के नीचे बैठे रहे ये बच्चे, सुबह लोगों ने पूछा नाम तो पता चला दोनों मुसलमान

बिलासपुर/कोरबा. दो मासूम बच्चे। दूसरे धर्म के हैं, लेकिन मन मेे ललक थी कि हम भी बप्पा को विराजित कर उनकी पूजा करेंगे। डर भी था कि समाज और मोहल्ले वाले कहीं मना ना कर दे। इसलिए दोनों मुस्लिम बच्चे घर छोड़कर दूसरे वार्ड में सड़क किनारे साड़ी और बांस का तंबू बनाकर न केवल गणपति की स्थापना की बल्कि उनकी पूजा भी अपने सामथ्र्य के हिसाब से शुरू कर दी। भारी बारिश में ये बच्चे भींगते रहे, ठिठुरते रहे लेकिन बप्पा की मूर्ति को छोड़कर हटे तक नहीं, सुबह लोगों ने इनकी हालत देखी और पड़ताल की तो पता चला कि ये बच्चे दूसरे वार्ड से आए हैं।
कहते हैं ना कि बचपन धर्म, समाज और नीतियों के बंधन से मुक्त होता है, वो तो उन्मुक्त होता है। जहां मौका मिलता है होंठ को खोलकर मुस्कुरा लेता है, जहां मन करता है पंख पसासर कर उड़ान भर लेता है। वर्तमान में धर्म के नाम पर जिस तरह माहौल है इसके विपरीत इन दो बच्चों ने बड़ी सीख भी दी है। मंगलवार की रात १२ बजे शुरु हुई तेज बारिश में भी बच्चों की भक्ति कम नहीं हुई। भीगे फर्श में त्रिपाल के सहारे दोनों कांपते हुए बैठे रहे। राहगीरों ने इसकी सूचना स्थानीय पार्षद राजा गुप्ता को दी। पार्षद ने जब उनसे पता पूछा तो बिलासपुर का गलत पता बता दिया। बाद में जब सख्ती की गई तो पूरी कहानी बतायी। दोनों ही बच्चे शारदाविहार से लगे कुआंभांटा वार्ड के हैं।
घर छोड़ा, गणेश बैठाया और रात भर टूटे पंडाल के नीचे बैठे रहे ये बच्चे, सुबह लोगों ने पूछा नाम तो पता चला दोनों मुसलमान
डर था की अनुमति नहीं मिलेगी
पूछताछ में बच्चों ने बताया कि उनको गणेशजी की मूर्ति स्थापित कर कर पूजा करनी थी, घर मेे अनुमति मिलेगी या नहीं इस बात को लेकर आशंका की स्थिति थी। इसलिए दोनों बच्चे १० दिन के लिए घर से अपने एक जोड़ी कपड़े में निकल गए। दोनों ही बच्चों ने आपस में चंदा किया। सीतामणी इलाके से गणेशजी की मूर्ति ढाई सौ में खरीदी। नारियल, माला व फूल लेकर पूजा भी शुरू कर दी। आसपास की कुछ महिलाओं ने सजावट के कुछ समान भी दे दिए। इस तरह दो दिन से बच्चे गणपति बप्पा की पूजा कर रहे थे। मंगलवार को भारी बारिश में भी वो वहां भिगते हुए पूरी रात डटे रहे।
ले जाया गया घर
बारिश में भीगने व टेंट की स्थिति को देखते हुए बच्चों को यहां नुकसान हो सकता था। उनकी सुरक्षा को देखते हुए उन्हें घर ले जाया गया। घर ले जाते समय दोनों बच्चे मायूस हो गए। उनको बप्पा की चिंता थी। स्थानीय महिलाओं ने गणेश प्रतिमा को अपने घर पर ले जाकर पूजा-अर्चना की बात कही और भरोसा दिया तब जाकर ये बच्चे जाने को तैयार हुए।
० इधर घर वाले खोज-खोजकर परेशान
इधर दोनों बच्चों को घर वाले खोज-खोजकर परेशान हो गए थे। रात मेे जब बच्चों को लेकर पार्षद पहुंचे तो परिवार वालों ने बताया कि इससे पहले कभी भी बच्चे कहीं नहीं जाते थे। दोस्तों, पड़ोसियों व पहचानवालों को फोनकर अपने स्तर पर खोजबीन की थी, लेकिन कहीं से इनकी जानकारी नहीं मिल रही थी। चौकी जाकर लापता की रिपोर्ट दर्ज कराने वाले थे।

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