पूछताछ में बच्चों ने बताया कि उनको गणेशजी की मूर्ति स्थापित कर कर पूजा करनी थी, घर मेे अनुमति मिलेगी या नहीं इस बात को लेकर आशंका की स्थिति थी। इसलिए दोनों बच्चे १० दिन के लिए घर से अपने एक जोड़ी कपड़े में निकल गए। दोनों ही बच्चों ने आपस में चंदा किया। सीतामणी इलाके से गणेशजी की मूर्ति ढाई सौ में खरीदी। नारियल, माला व फूल लेकर पूजा भी शुरू कर दी। आसपास की कुछ महिलाओं ने सजावट के कुछ समान भी दे दिए। इस तरह दो दिन से बच्चे गणपति बप्पा की पूजा कर रहे थे। मंगलवार को भारी बारिश में भी वो वहां भिगते हुए पूरी रात डटे रहे।
बारिश में भीगने व टेंट की स्थिति को देखते हुए बच्चों को यहां नुकसान हो सकता था। उनकी सुरक्षा को देखते हुए उन्हें घर ले जाया गया। घर ले जाते समय दोनों बच्चे मायूस हो गए। उनको बप्पा की चिंता थी। स्थानीय महिलाओं ने गणेश प्रतिमा को अपने घर पर ले जाकर पूजा-अर्चना की बात कही और भरोसा दिया तब जाकर ये बच्चे जाने को तैयार हुए।
इधर दोनों बच्चों को घर वाले खोज-खोजकर परेशान हो गए थे। रात मेे जब बच्चों को लेकर पार्षद पहुंचे तो परिवार वालों ने बताया कि इससे पहले कभी भी बच्चे कहीं नहीं जाते थे। दोस्तों, पड़ोसियों व पहचानवालों को फोनकर अपने स्तर पर खोजबीन की थी, लेकिन कहीं से इनकी जानकारी नहीं मिल रही थी। चौकी जाकर लापता की रिपोर्ट दर्ज कराने वाले थे।